सीतामढ़ी : बज्जिका भाषा संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा समाहरणालय स्थित अंबेडकर स्थल पर आज 11 बजे से 4 बजे तक एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया. धरने की अध्यक्षता संस्था के संयोजक बज्जिका कवि राम किशोर सिंह चकवा ने की. मातृ भाषा बज्जिका के उत्थान के समर्थन में बज्जिका भाषियों, साहित्यकारों और स्थानीय नेताओं द्वारा पांच सूत्री मांगों को लेकर धरने में शिरकत की गई. इसका संचालन कवि सुरेश वर्मा ने किया. मुख्य अतिथि के रूप में नागेंद्र प्रसाद सिंह, ब्रजेश शर्मा और रामू चौधरी की उपस्थिति रही.
कार्यक्रम की शुरुआत राम किशोर सिंह चकवा के बज्जिका ‘गीत जागु भईया जागू बहिना, समय बितल जाईअ, सब भाषा मोकाम पा लेलक, बज्जिका कहीं न दिखाईअ’ से हुई. धरने को संबोधित करते हुए सह-संयोजक हंसलाल शाह ने कहा कि बज्जिका बोलने और बज्जिका में लिखने की सबको पहल करनी चाहिए. बज्जिका हृदय की भाषा है, मां की भाषा है, इसको बोलने में संकोच नहीं करना चाहिए. ईश्वरचंद्र सिंह ने बज्जिका पर खूब विस्तार से चर्चा की. महेश्वर मिश्र ने कहा कि हम घर-घर जाकर बज्जिका के विषय में लोगों को जानकारी देंगे. राम प्यारे साह और सुरेंद्र महतो ने भी बज्जिका भाषा पर प्रकाश डाला. बच्चा प्रसाद बिहुबल ने कहा कि 22 क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता मिल चुकी है, लेकिन सरकार बज्जिका भाषा की उपेक्षा करती है, हमलोगों को आंदोलन तेज करना चाहिए. सुरेश लाल कर्ण ने बज्जिका पर चर्चा करते हुए एक बज्जिका गीत सुनाया.
सीमा गुप्ता, महेश कुमार, सरपंच समीर कुमार सिंह, विजेंद्र कुमार मुखिया, भाजपा नेता अरुण गोक, डॉ. आनंद प्रकाश वर्मा , राम बाबू सिंह, चंद्रमोहन प्रसाद, निवास मिश्र, आलोक राय, अरुण कुमार एवं महेन्द्र राय आदि ने भी बज्जिका भाषा पर विस्तार से चर्चा की. धरने में बड़ी संख्या में बज्जिकाभाषी शामिल हुए. अंत में अध्यक्षीय भाषण देते हुए राम किशोर सिंह चकवा ने सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि जब तक संगठन की मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन जारी रहेगा.