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फ्रांस के महान वैज्ञानिक बोलेयू का निधन, गर्भपात की गोली के जनक ने 98 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

डेस्क : पेरिस में शुक्रवार को फ्रांसीसी वैज्ञानिक एतिएन-एमिल बोलेयू (Etienne-Emile Baulieu) का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बोलेयू वही वैज्ञानिक थे, जिन्होंने दुनिया की पहली गर्भपात की गोली RU-486 (मिफेप्रिस्टोन) (RU-486 Abortion Pill Inventor) का आविष्कार किया था. उनके निधन की जानकारी उनकी पत्नी सिमोन हरारी बोलेयू ने एएफपी को दी. विज्ञान, नारी स्वतंत्रता और मानव कल्याण के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें वैश्विक स्तर पर एक प्रेरणास्रोत बना दिया था.

1982 में बोलेयू ने एक ऐसी क्रांतिकारी गोली का निर्माण किया जिसने लाखों महिलाओं को सुरक्षित और सुलभ गर्भपात का विकल्प दिया. इस गोली का नाम RU-486 या मिफेप्रिस्टोन था, जो शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की क्रिया को रोकता है — वह हार्मोन जो गर्भधारण के लिए आवश्यक होता है. यह खोज केवल चिकित्सा क्षेत्र की नहीं, बल्कि महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रता की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम था.

बोलेयू ने कहा था, “मैंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं की स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए समर्पित किया है.” यही कारण है कि जब अमेरिका के वायोमिंग राज्य ने 2023 में इस गोली को बैन किया, तो बोलेयू ने इसे “शर्मनाक” करार दिया.

12 दिसंबर 1926 को फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में एक यहूदी परिवार में जन्मे बोलेयू का असली नाम एतिएन ब्लम था. बचपन में ही पिता का देहांत हो गया और उन्हें उनकी नारीवादी सोच वाली मां ने पाला. 15 साल की उम्र में उन्होंने नाज़ी अत्याचारों के खिलाफ फ्रेंच रेज़िस्टेंस में भाग लिया और अपना नाम बदलकर एमिल बोलेयू रख लिया. इसके बाद उन्होंने विज्ञान की दुनिया में कदम रखा और स्टेरॉयड हार्मोन पर शोध शुरू किया.

1961 में जब वे अमेरिका गए, तो गर्भनिरोधक गोली के जनक ग्रेगरी पिंकस ने उनके काम को पहचाना और उन्हें यौन हार्मोन पर शोध करने को प्रेरित किया. यह वही मार्ग था जिसने आगे चलकर गर्भपात की गोली के आविष्कार तक उन्हें पहुंचाया.

बोलेयू केवल वैज्ञानिक नहीं थे, वे साहित्य और कला के भी गहरे प्रेमी थे। 1960 के दशक में उन्होंने प्रसिद्ध अमेरिकी पॉप कलाकार एंडी वारहोल जैसे कलाकारों से दोस्ती की. उन्होंने कहा था, “मैं उन कलाकारों से मोहित हूं जो मानते हैं कि वे इंसानी आत्मा तक पहुंच सकते हैं — एक ऐसा क्षेत्र जो शायद वैज्ञानिकों की पहुंच से हमेशा बाहर रहेगा.”

अपनी उम्र के 90वें दशक में भी बोलेयू हर दिन पेरिस के अपने कार्यालय जाते थे. 2023 में उन्होंने कहा था, “अगर मैं काम न करूं तो मैं बोर हो जाऊं.” हाल के वर्षों में वे अल्जाइमर और गंभीर अवसाद के इलाज पर शोध कर रहे थे. उनकी रिसर्च पर आधारित क्लिनिकल ट्रायल्स आज कई देशों में चल रहे हैं.

2023 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान Grand-Croix de la Legion d’Honneur प्रदान किया. मैक्रों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा: “आप एक यहूदी और रेज़िस्टेंस फाइटर थे. आपको नफरत और अपमान का सामना करना पड़ा, लेकिन आपने कभी हार नहीं मानी — क्योंकि आप आज़ादी और विज्ञान से प्रेम करते थे.”

1989 में उन्हें अमेरिका में प्रतिष्ठित Lasker Award से भी नवाज़ा गया.

बोलेयू ने पहली पत्नी योलांडे कम्पेन्योन के निधन के बाद 2016 में सिमोन हरारी से विवाह किया. उनके पीछे तीन बच्चे, आठ पोते-पोतियाँ और नौ परपोते छोड़ गए हैं. उनके जीवन का हर पहलू — एक योद्धा, वैज्ञानिक, विचारक और पारिवारिक व्यक्ति — समाज को एक नई दृष्टि दे गया.

 

 

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