डेस्क : भारतीय वायुसेना की महिला अधिकारी विंग कमांडर निकिता पांडे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने गुरुवार को उनके सेवा से रिलीज पर रोक लगाते हुए साफ कहा कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के तहत सेवा देने वाले अधिकारियों के भविष्य को लेकर जो अनिश्चितता बनी हुई है, उसे खत्म करने के लिए नीति में बदलाव जरूरी है. दरअसल, निकिता पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी कि उन्हें तब तक सेवा में बने रहने दिया जाए, जब तक परमानेंट कमीशन पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता.
उन्होंने बताया कि उन्हें पहले ही 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद जून 2025 तक एक्सटेंशन मिल चुका है, लेकिन इसके बाद अब तीसरी बार परमानेंट कमीशन के लिए मूल्यांकन होना है.
निकिता पांडे 2011 में भारतीय वायुसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए शामिल हुई थीं. वे फाइटर कंट्रोलर के रूप में बेहद अहम भूमिका निभा चुकी हैं. उनका ‘ऑपरेशन बालाकोट’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मिशनों में खास योगदान रहा है. वे अब तक 13 साल से ज्यादा समय तक देश की सेवा कर चुकी हैं.
उनकी ओर से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी और अस्था शर्मा ने अदालत में दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि इतने वर्षों के अनुभव, समर्पण और मिशन-सक्षम प्रदर्शन के बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन सिर्फ इस आधार पर नहीं दिया गया कि वह महिला हैं और SSC से आई हैं.
निकिता ने यह भी कहा कि महिला अधिकारी वायुसेना में 1992 से भर्ती हो रही हैं, यानी अब 30 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है. इसके बावजूद अब भी उन्हें सिर्फ SSC के जरिए ही शामिल किया जाता है, जबकि पुरुष अधिकारियों को परमानेंट कमीशन का भी विकल्प मिलता है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा कि शॉर्ट सर्विस के बाद भी अगर किसी अधिकारी को भविष्य की कोई स्पष्ट राह न दिखे, तो वह स्थिति सशस्त्र बलों के लिए ठीक नहीं है. कोर्ट ने सरकार से सुझाव के तौर पर कहा कि जितने SSC अधिकारी लिए जाएं, उतने परमानेंट कमीशन के मौके भी उपलब्ध होने चाहिए.
बेंच ने यह भी माना कि महिलाओं के लिए सीमित मौके और SSC के बाद का इंटरनल कॉम्पिटिशन दिलों में दुख पैदा करता है, जबकि वे भी बाकी पुरुष अधिकारियों की तरह पूरी क्षमता से सेवा दे रही हैं. कोर्ट ने साफ कहा है कि निकेता पांडे को अगले आदेश तक सेवा से नहीं हटाया जाएगा. 6 अगस्त को इस मामले की अगली सुनवाई होगी.