अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान को बड़ा झटका! भारत ने बगलिहार बांध से रोका चिनाब का पानी !

डेस्क : भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच एक और बड़ा कूटनीतिक कदम सामने आया है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 65 साल पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने की घोषणा की थी. अब भारत ने इस फैसले को और आगे बढ़ाते हुए चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोक दिया है. साथ ही किशनगंगा बांध के माध्यम से झेलम नदी के प्रवाह को भी नियंत्रित करने की योजना बनाई जा रही है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत बगलिहार (जम्मू के रामबन) और किशनगंगा (उत्तर कश्मीर) में बने हाइड्रोपावर डैम्स के जरिए पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के प्रवाह को बिना किसी पूर्व सूचना के कम या ज्यादा कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की ओर से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ा संदेश देने की रणनीति का हिस्सा है.

1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुए इस समझौते के तहत सिंधु, चिनाब और झेलम जैसी पश्चिमी नदियों पर नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया था, जबकि भारत को पूर्वी नदियों का उपयोग करने की अनुमति थी. लेकिन हालिया घटनाक्रमों ने इस संतुलन को तोड़ दिया है.

पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर करती है. इस पानी से वहां सिंचाई, बिजली उत्पादन और रोज़मर्रा की आवश्यकताएं पूरी होती हैं. कराची की एग्रीकल्चर रिसर्च फर्म के घशारिब शौकत ने चेताया है कि भारत के इस कदम से गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है. उन्होंने कहा, “इस वक्त पाकिस्तान के पास कोई विकल्प नहीं है. यह निर्णय कृषि और शहरी जीवन दोनों को प्रभावित करेगा.”

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा था, “या तो सिंधु नदी में हमारा पानी बहेगा या उनका खून.” इस बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जल को युद्ध का हथियार बनाने का कोई नैतिक आधार नहीं है. पाकिस्तान के अन्य राजनेता भी इस फैसले को युद्ध की घोषणा के रूप में देख रहे हैं, जो इस समझौते की पाकिस्तान के लिए अहमियत को दर्शाता है.

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित करना और बगलिहार व किशनगंगा बांधों से पानी के प्रवाह को रोकना न केवल एक कूटनीतिक दबाव की रणनीति है, बल्कि यह पाकिस्तान के जल संसाधनों पर सीधा प्रभाव डालने वाला कदम है. आने वाले दिनों में इस फैसले के भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय परिणामों पर पूरी दुनिया की नजरें होंगी.

 

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