साहित्य

कविता : सतरंगी सपने… (नागेंद्र सिंह चौहान)

सम्मानित दोस्तों,
पढ़िए, मेरी एक और ताजातरीन रचना… यह कविता देश के उन सभी बच्चों को समर्पित है जो हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण हुए हैं या फिर जो बच्चे अभी इंटर कॉलेज में अध्ययनरत हैं.

सतरंगी सपने
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तरंगी सपने देखे जो हमने,
बड़े खूबसूरत सपने देखे हमने।
पहले तो देखा बन्द आंखों से,
अब देख रहा खुली आंखों से।
मुझे न दिन को चैन है,
और न रातों में नींद है।
लक्ष्य अभी तो दूर है,
अहर्निश चलना ही है,
दम लेंगे मंजिल पर पहुंचकर,
मैं कदम उठा रहा हूँ सोचकर।
यह जो मेरी खामोशी है,
इसके अंदर ही जयघोष है।
मेरा संघर्ष यह अविराम है,
आलोचनाओं का दौर भी है।
मेरे सतरंगी सपने जब पूरे होंगे।
आलोचक ये अभिनंदन में होंगे।
सतरंगी सपने देखे जो हमने,
बड़े खूबसूरत सपने देखे हमने।

© नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
3 मई, 2025
जंगलवा, बीकेटी, लखनऊ

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