डेस्क : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए. इस हमले की जिम्मेदारी शुरू में द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) नाम के संगठन ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक नया रूप माना जाता है, लेकिन बाद में TRF ने इससे पल्ला झाड़ लिया. हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना को “पूरी ऑपरेशनल फ्रीडम” दे दी है. इसका मतलब है कि अब सेना बिना किसी राजनीतिक रोक-टोक के अपनी रणनीति के अनुसार कार्रवाई कर सकती है. इससे पाकिस्तान की चिंता और बढ़ गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 1,000 से अधिक मदरसों को 10 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. स्थानीय धार्मिक मामलों के प्रमुख हाफिज नजीर अहमद ने पुष्टि की कि यह फैसला भारत के संभावित सैन्य हमले के डर से लिया गया है. विभाग के एक सूत्र ने कहा, “सीमा पर तनाव और संभावित संघर्ष को देखते हुए ये कदम उठाया गया है.”
पाकिस्तान द्वारा मदरसे बंद करना और बच्चों को युद्ध की तैयारी सिखाना इस बात का संकेत है कि वह भारत के गुस्से से डरा हुआ है.
मुजफ़्फराबाद समेत PoK के कई इलाकों में आपातकालीन सेवाएं हाई अलर्ट पर हैं. स्कूल के बच्चों को संभावित भारतीय हमले की स्थिति में क्या करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है. यह साफ संकेत है कि पाकिस्तान इस बार भारत के पलटवार से बुरी तरह डर गया है.
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि पर अमल रोक दिया और पाकिस्तान के नागरिकों को भारत आने पर प्रतिबंध भी लगा दिया है. यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.