दरभंगा (निशांत झा) : बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जागरूकता अभियान चलाकर एक तरफ वंचित समाज में खुशहाली लाई दूसरी ओर संविधान में कानूनी प्रावधानों की व्यवस्था कर उन्हें समाज के मुख्यधारा में समाहित किया। बाबा साहब डा भीमराव अंबेडकर भारतीय चेतना के अकेले ऐसे अग्रदूत साबित हुए जिनके कारण कमजोर तथा समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों को स्वतंत्रता समानता तथा न्याय और आत्मसम्मान का अधिकार मिला।
दरभंगा सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डा गोपाल जी ठाकुर ने संविधान निर्माता तथा वंचित समाज के सबसे पैरोकार बाबा साहब डा भीमराव अंबेडकर सभागार की जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद उपरोक्त बातें कही।
सांसद डा ठाकुर ने बाबा साहब के जीवनी को रेखांकित करते हुए कहा कि 134 साल पहले मध्यप्रदेश के महू में जन्मे बाबा साहब 1924 में लंदन से लौटने के बाद भारत में दलितों के कल्याण के लिए संगठन बनाकर संघर्ष शुरू किया इसलिए आज उनके लिए शताब्दी वर्ष के रूप में भी याद कर सकते हैं।
सांसद डा ठाकुर ने वंचित समाज के लिए उनके योगदानों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत की संविधान सभा के सदस्य और संविधान की मसौदा तैयार करने वाली कमिटी के चेयरमैन के रूप में नागरिकों के मूल अधिकार समता और सामाजिक न्याय के सिद्धांत को संविधान में शामिल किया।
सांसद डा ठाकुर ने बाबा साहब के समाज सुधारो को भारतीय राजनीति और समाज के लिए व्यवस्था परिवर्तन का मूल आधार बताते हुए कहा कि आज उन्हीं की देन है कि 1931 में जहां अस्पृश्य समाज में साक्षरता दर एक से दो प्रतिशत था ओ 2011 के जनगणना में 66.1 प्रतिशत हो गया।
सांसद डा ठाकुर ने डेश के पीएम मोदी को बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलने वाला सच्चा सिपाही बताते हुए कहा कि सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास इसका ज्वलंत उदाहरण है।
