डेस्क : अमेरिका के फ्लोरिडा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला को फेसबुक मार्केटप्लेस के जरिए इंसानी हड्डियाँ बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. आरोपी महिला की पहचान 52 वर्षीय किम्बरली शॉपर (Kymberlee Schopper) के रूप में हुई है, जो ‘विकेड वंडरलैंड’ (Wicked Wonderland) नामक एक व्यवसाय चला रही थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किम्बरली पर अवैध रूप से इंसानी ऊतकों (human tissues) की खरीद-बिक्री करने के आरोप लगे हैं. पुलिस का कहना है कि उन्होंने जानबूझकर खोपड़ी के टुकड़े, पसलियाँ, कंधे की हड्डियाँ, कशेरुकाएं और आंशिक खोपड़ियाँ जैसे इंसानी अवशेष अपने व्यवसाय के माध्यम से बेचे.
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब 21 दिसंबर 2023 को पुलिस को एक टिप मिली कि ऑरेंज सिटी स्थित एक स्थानीय व्यवसाय की फेसबुक पेज पर इंसानी हड्डियाँ बिक्री के लिए डाली गई हैं. इस सूचना के आधार पर पुलिस ने जब व्यवसाय की जाँच की, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
‘Wicked Wonderland’ नाम की यह दुकान ऑरेंज सिटी के नॉर्थ वोलूसिया एवेन्यू में स्थित है. पुलिस की जांच में पता चला कि दुकान की वेबसाइट पर भी इंसानी अवशेष खुलेआम बेचे जा रहे थे. इसमें दो खोपड़ी के टुकड़े, एक कॉलर बोन, स्कैपुला (कंधे की हड्डी), पसली, कशेरुका (spine vertebra) और आंशिक खोपड़ी शामिल थे.
पुलिस ने इन हड्डियों को जब्त कर मेडिकल एग्ज़ामिनर के पास जांच के लिए भेज दिया. जांच के दौरान एक मालिक ने बताया कि वह वर्षों से इस तरह की हड्डियाँ बेच रहे हैं और उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि फ्लोरिडा राज्य में यह अवैध है.
शॉपर ने अपनी सफाई में कहा कि ये हड्डियाँ शैक्षिक उद्देश्यों (educational models) के लिए थीं और उन्हें लगा कि यह कानून के तहत वैध है. उन्होंने दावा किया कि उनके पास इन हड्डियों की खरीद से जुड़ा दस्तावेज़ भी है, लेकिन मौके पर वे दस्तावेज नहीं दिखा सकीं.
विशेषज्ञों की जांच में पता चला कि कुछ हड्डियाँ पुरातात्विक महत्व की हो सकती हैं. एक खोपड़ी का टुकड़ा 100 साल से ज्यादा पुराना पाया गया, जबकि एक अन्य हड्डी लगभग 500 साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतीत हुई.
किम्बरली शॉपर को 11 अप्रैल को गिरफ्तार कर वोलूसिया काउंटी जेल में रखा गया, जहां से उन्हें 7,500 डॉलर (लगभग 6.45 लाख रुपये) की जमानत पर रिहा कर दिया गया.
यह मामला न केवल इंसानी अवशेषों की अवैध बिक्री को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डिजिटल माध्यमों का गलत इस्तेमाल किस तरह से हो सकता है. इस मामले ने सोशल मीडिया पर बिक्री नियमों और कानूनों की निगरानी की आवश्यकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.