शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाने से ऐसे बहुविषयक एवं प्रासंगिक शैक्षणिक आयोजनों का महत्व इस विश्वविद्यालय के लिए अधिक बढ़ा- कुलपति
दरभंगा : हनुमान जयंती के अवसर पर इस अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन काफी शुभ है। इसमें भाषा, साहित्य और समाज पर दो दिनों तक विश्व स्तरीय गहन विचार-विमर्श से मानवीय समझ एवं सामाजिक विकास को नया स्वरूप मिलेगा। यह कॉन्फ्रेंस विद्वानों एवं शोधार्थियों के लिए एक विस्तृत एवं वैश्विक मंच प्रदान करेगा जो अर्थपूर्ण विमर्श के लिए विद्वानों को जोड़ने का भी काम कर रहा है। मुझे विश्वास है कि कांफ्रेंस में प्रस्तुत शोध पत्र भाषायी एवं साहित्यिक अध्ययन को सार्थक रूप से योगदान करेगा। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने विश्वविद्यालय अंग्रेजी विभाग एवं इंग्लिश लैंग्वेज टीचर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के मिथिला चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में “भाषा, साहित्य एवं समाज : वर्तमान संदर्भ में” विषय पर जुबली हॉल में आयोजित दो- दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मुख्य संरक्षक के रूप में कही।
उन्होंने कहा कि शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाने से हमारे विश्वविद्यालय के लिए ऐसे बहुविषयक, विस्तृत एवं प्रासंगिक विषय पर शैक्षणिक आयोजन का महत्व अधिक बढ़ गया है। कुलपति ने कहा कि देश- विदेश के विद्वानों द्वारा कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत शोध पत्रों को आईएसबीएन बुक या स्तरीय शोध पत्रिकाओं में अवश्य ही प्रकाशित करें, ताकि भविष्य में समाज और शोधार्थी लाभान्वित हो सकें।
अध्यक्षीय संबोधन में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो मंजू राय ने कहा कि मैं सहभागियों एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। यह कॉन्फ्रेंस नई धारणाओं को जन्म देगा तथा भविष्य के विद्वानों एवं शोधार्थियों के लिए नया मार्ग प्रशस्त करेगा। इसमें सीमा रहित देश-विदेश के विद्वानों की खोज से समाज को मार्गदर्शन प्राप्त होगा। यह कॉन्फ्रेंस वैश्विक एवं क्षेत्रीय दृष्टिकोणों का संगम है, जिसमें भाषा-साहित्य एवं सामुदायिक अनुभवों पर आधारित शोध पत्र साहित्यिक संवाद के रूप में हमें प्रेरित करेंगे।
की-नोट एड्रेस देते हुए पूर्व प्राध्यापक डॉ अमरेन्द्र शर्मा ने तकनीकी एवं एआई की चर्चा करते हुए कहा कि कांफ्रेंस का उद्देश्य विस्तृत एवं विभिन्न आयामों से जुड़ा हुआ है। आज भाषा और साहित्य को समाज से विशेष रूप से जोड़ा जा रहा है, क्योंकि इनका योगदान मानवीय मूल्यों के संवर्धन तथा समाज को मार्गदर्शन देने से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि साहित्य से यात्रा वृतांत, सक्सेस स्टोरी, संस्कार, संस्कृति तथा पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन आदि की चेष्टा की जा रही है।
कुलसचिव एवं कॉन्फ्रेंस के सह-संरक्षक डॉ अजय कुमार पंडित ने विश्वविद्यालय की ओर से कॉन्फ्रेंस की सफलता की बधाई देते हुए कहा कि ‘भाषा, साहित्य और समाज’ विषय पर आयोजित यह कॉन्फ्रेंस हमारे समाज को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को नया स्वरूप देगा। पूर्व मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो ए के बच्चन ने कॉन्फ्रेंस के विषय को अति महत्वपूर्ण एवं समाज के लिए उपयोगी बताते हुए कहा कि यह कॉन्फ्रेंस विश्वविद्यालय के बहुआयामी आयोजनों को व्यक्त करता है।
आईआईटी, रुड़की के प्राध्यापक एवं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र प्रो विनोद मिश्रा ने ऑनलाइन माध्यम से कॉन्फ्रेंस के विषय को विस्तृत एवं महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह आयोजन सृजनात्मकता की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं, इसी विश्वविद्यालय के कारण हूं। थीम इंट्रोड्यूस करते हुए आयोजन सचिव डॉ संकेत कुमार झा ने बताया कि इस कांफ्रेंस में यूके, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, चेन्नई, राजस्थान, बंगाल, दिल्ली आदि देश-विदेश से 400 से अधिक सहभागी पंजीकृत हैं, जिनके लिए जुबली हॉल, वनस्पति विज्ञान तथा जन्तु विज्ञान के सभागार में समानांतर तकनीकी एवं प्रश्नोत्तर सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।
अतिथियों का स्वागत डॉ. अखिलेश्वर कुमार सिंह ने किया, जबकि बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर की पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो मधु शालिनी, संयोजक डॉ शाम्भवी तथा ट्रेजरर डॉ नवीन कुमार सिंह आदि ने भी विचार रखें। आकांक्षा निधि एवं हर्ष के संचालन में आयोजित उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन सांस्कृतिक गतिविधियों की कोऑर्डिनेटर प्रो पुनीता झा ने किया।
कार्यक्रम में डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, पदाधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों की काफी संख्या ऑफलाइन एवं ऑनलाइन मोड में उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में अतिथियों द्वारा सोविनियर का विमोचन किया गया। वहीं कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ, जबकि बिहार-गीत एवं कुलगीत विश्वविद्यालय संगीत एवं नाटक विभाग के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया। अतिथियों का स्वागत पाग, चादर, मोमेंटो एवं पौधा प्रदान कर किया गया।