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बीमाधारकों को राहत देने की तैयारी, इंश्योरेंस की किश्त पर कम हो सकती है GST दर

डेस्क : हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस (Health and Life Insurance) लेने वाले बीमाधारकों (Insured holders) को महंगी पॉलिसी (Expensive policy) से दिसंबर तक राहत मिल सकती है। नवंबर में होने वाली जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी पर जीएसटी की दरों को कम किए जाने की तैयारी है। इसको लेकर 19 अक्टूबर को मंत्री समूह की बैठक होगी, जिसमें विस्तार से चर्चा होनी है। उधर, अन्य वस्तुओं से जुड़े जीएसटी स्लैब (GST slab) में भी बदलाव किए जाने पर विचार किया जा रहा है। कई वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 12 से घटाकर पांच फीसदी किया जा सकता है।

जीएसटी से जुड़े दो मामलों पर मंत्री समूह विचार कर रहा है। इसमें एक मामला स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी का भी है, जिसको लेकर तमाम विपक्षी दलों समेत केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तक ने आपत्ति उठाई थी। परिषद की पिछली बैठक में जीएसटी दरों को कम करने के संबंध में कोई सहमति नहीं बन पाई थी, जिसके बाद मामले को मंत्री समूह के पास भेज दिया गया।

इस मामले में स्पष्ट रिपोर्ट देने के लिए गठित 13 सदस्यीय मंत्री समूह अब विचार करेगा। समूह के संयोजक बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हैं। संभव है कि 19 अक्टूबर की बैठक में पांच फीसदी जीएसटी लिए जाने पर सहमति बन सकती है। 30 अक्टूबर तक समूह अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपेगा। उसके बाद नवंबर की बैठक में फैसला लिया जाएगा।

जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने के दिशा में भी मंत्री समूह काम कर रहा है, जिसकी बैठक 20 अक्टूबर को होनी है। इस बैठक में कई वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया जा सकता है। संभावना जताई जा रही है कि दोपहिया वाहन, बोतल बंद पानी समेत कई अहम वस्तुओं पर जीएसटी की दर को कम किया जा सकता है। ऐसी करीब 100 वस्तुओं पर जीएसटी की दर को कम किया जा सकता है तो वहीं, कुछ वस्तुओं पर जीएसटी की दर को बढ़ाया भी जा सकता है।

केंद्र सरकार (Central Government) बीमा कानून में संशोधन (Amendment in Insurance Law) करने जा रही है। संशोधन के तहत बीमा कंपनियों को सबसे बड़ा लाभ होग, क्योंकि उन्होंने सभी तरह की बीमा पॉलिसी को बेचने की इजाजत दी जाएगी। अभी तक जीवन बीमा कंपनी सिर्फ जीवन बीमा से जुड़ी पॉलिसी भी बेच सकती है। वहीं, जनरल इंश्योरेंस कंपनी हेल्थ, मोटर, दुर्घटना जैसी बीमा पॉलिसी को बेच सकती है।

बीमा अधिनियम के प्रावधान के हिसाब से एक कंपनी उसी श्रेणी में बीमा उत्पाद बेचने का काम कर सकती है, जिसमें उसने इरडा के तहत पंजीकरण कराया है। अब सरकार का मानना है कि बीमा पॉलिसी बिक्री के लिए कोई श्रेणी नहीं होनी चाहिए। एक कंपनी को सभी श्रेणी में पॉलिसी बेचने की अनुमति है।

ध्यान रहे कि भारत में कुल 57 बीमा कंपनियां हैं, जिनमें से 24 कंपनी भारतीय जीवन बीमा क्षेत्र से जुड़ी पॉलिसी बेचती हैं। जबकि, 34 कंपनी गैर जीवन बीमा क्षेत्र से जुड़ी पॉलिसी बेचने का काम करती हैं, लेकिन बीमा कानून में संशोधन के बाद सभी क्षेत्रों से जुड़ी पॉलिसी बेच पाएंगी।

इस बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय के स्तर पर तैयारी चल रही है। कानून में संशोधन को लेकर जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक होनी है, जिसमें सचिव वित्तीय सेवाएं और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधकरण (इरडा) के अधिकारी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि संशोधन से जुड़ा मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसे अब अधिकारियों द्वारा सरकार से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाना है। एक तरफ जहां कंपनियों को लाइसेंस से मुक्ति मिलेगी तो वहीं सरकार के लिए कागजों के रखरखाव का झंझट भी थोड़ा कम होगा। अब आगामी शीतकालीन सत्र में संशोधन किए जाने की तैयारी है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2047 में देश में सभी के लिए बीमा का लक्ष्य रखा है। ऐसे में सरकार मान कर चल रही है कि बीमा क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़े और लोगों को आसानी से रियायती दरों पर बीमा कवर मिल सके। इसलिए बीमा कानून में कई तरह के संशोधन से जुड़े प्रस्ताव हैं।

 

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