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दिल्ली में भूकंप के तेज झटकों लिए जिम्मेदार है ये फॉल्ट लाइन

डेस्क:फरवरी में दिल्ली में आए भूकंप के तेज झटकों के लिए जो चीज जिम्मेदार थी, उसका पता लगा लिया गया है. हालांकि इलाके के पुराने भूकंपों का डेटा ना मिलने के कारण भविष्यवाणी के लिए एआई मॉडल तैयार करना चुनौती भरा साबित हो रहा है.17 फरवरी 2025 की तड़के 5 बजे ही नई दिल्ली में लोग घबरा कर घरों से बाहर भागने लगे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वहां तेज भूकंप के झटके महसूस हो रहे थे. वैसे तो दिल्ली में भूकंप का आना नई बात नहीं है लेकिन इस बार के झटके लोगों को पहले की अपेक्षा अधिक तेजी से महसूस हुए. इसे लेकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के विशेषज्ञों ने दिल्ली की एक फॉल्ट लाइन को जिम्मेदार बताया है.

दिल्ली में मिला एक नया फॉल्ट

17 फरवरी को दिल्ली में आए भूकंप का केंद्र धौलाकुआं वाला इलाका था. 10 किलोमीटर गहराई के साथ इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 आंकी गई थी. इसी इलाके के आसपास 28 अप्रैल 2001 को भी 3.4 तीव्रता वाला एक भूकंप आ चुका है.

आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जावेद मलिक भूकंप के सेडिमेंट, सतह पर मौजूद भूकंप के अवशेष और अंडमान और आसपास के इलाकों में आने वाली सुनामी और उससे प्रभावित इलाकों पर काम कर रहे हैं. दिल्ली में बीते कई वर्षों में आने वाले भूकंप के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर जावेद ने डीडब्ल्यू हिंदी को बताया, “पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साथ मिलकर हमने दिल्ली की फॉल्ट लाइंस पर एक प्राथमिक शोध किया था जिसमें हमने कुछ सक्रिय फॉल्ट भी पता लगाए थे. इनमें से एक फॉल्ट को दिल्ली फॉल्ट का नाम भी दिया गया है. इन सक्रिय फॉल्ट से भविष्य में भी भूकंप आने की आशंका बनी रहती है.”

बारिश है भूंकप का बड़ा कारण

भूकंप आने का एक मुख्य कारण यह है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है. इन प्लेटों के टकराने के कारण हिमालय को भी लगातार बढ़ते हुए देखा जा सकता है. प्रोफेसर जावेद के अनुसार, दिल्ली में अब तक 1.0 मैग्नीट्यूड से लेकर 6.7 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाले भूकंप आ चुके हैं. दिल्ली की जमीन पर मिले सक्रिय फॉल्टलाइन की वजह से आगे चलकर दिल्ली में कई भूकंपों के आने की आशंका है. बीते 50 वर्षों के भूकंप के डेटा से पता चला है कि दिल्ली- एनसीआर में ज्यादातर भूकंप महेंद्रगढ़-सहरसा रिज और दिल्ली-हरिद्वार रिज में लगातार बढ़ता स्ट्रेस भी भूकंप का कारण हो सकता है.

क्या भूकंप के कारण फिर बदल सकती है गंगा नदी की धारा?

प्रोफेसर जावेद का मानना है कि एक्टिव फॉल्ट की मैपिंग किए जाने की जरूरत है. उनका कहना है, “दिल्ली-अरावली फोल्ड बेल्ट के आसपास कई भूकंप आ चुके हैं. यह इस बात का संकेत है कि कुछ फॉल्ट दोबारा सक्रिय हो गए हैं.”

डीडब्ल्यू से बात करते हुए प्रोफेसर जावेद ने कहा, “बारिश के बाद भूकंप के आने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बारिश के बाद फॉल्टलाइंस के बीच पानी भरने लगता है, जिसके बाद लगातार हल्के भूकंप आते हैं.” गुजरात के सौराष्ट्र में भी फॉल्ट लाइंस के कारण इस तरह के भूकंप के हल्के झटके आज तक महसूस किए जाते हैं.

बंगाल फॉल्ट से पूर्वी भारत में भूकंप

हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप आने की घटनाओं के साक्ष्य लगातार मिलते रहे हैं. इसकी जद में नेपाल, भूटान और चीन के कुछ हिस्से शामिल हैं. भूटान में 1714 तो नेपाल में 1934 में भूकंप के बड़े झटके महसूस किये गए. इसके बाद भी नेपाल में 2015 में भी भूकंप से काफी जान माल का नुकसान हुआ था. इसके अलावा सिक्किम में 1980 में 6.2 तीव्रता और 2011 में 6.9 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किये जा चुके हैं.

प्रोफेसर जावेद ने बताया कि जापान के एक वैज्ञानिक तकाशी नकाटा ने सन 2000 में सिलिगुड़ी में बंगाल फॉल्ट की पहचान की थी. भूकंप के लिहाज से सिलिगुड़ी को सेस्मिक जोन-4 में रखा गया है. प्रोफेसर जावेद और उनकी टीम की रिसर्च में उन्होंने दावा किया है कि इस बंगाल फॉल्ट के कारण भारत के पूर्वोत्तर इलाकों में 7.5 तीव्रता तक के तेज भूकंप के झटके आ सकते हैं. शोध के दौरान उन्हें इससे जुड़े कई भूगर्भीय साक्ष्य भी मिले हैं.

कई वर्षों की जानकारी नहीं

प्रोफेसर जावेद का कहना है कि साल 1200 से 1800 के बीच भारत में लगभग 38 भूकंप आए लेकिन कई भूकंपों के बारे में न तो साक्ष्य मिल पा रहे हैं और न ही इसकी कोई जानकारी है. इस वजह से भविष्य में एआई मॉडल तैयार करने में परेशानी आ सकती है.

इसके लिए संस्कृत, उर्दू, असमिया और फारसी साहित्य में भूकंप को लेकर ऐतिहासिक साक्ष्य खोजने की कोशिश की जा रही है.

संस्कृत ग्रंथ राजतरंगिणी में कश्मीर में आए भूकंप की जानकारी मौजूद है. इसके अलावा मृगनयनी उपन्यास में 1505 में उत्तर भारत में आए तेज भूकंप के झटकों का जिक्र है. साथ ही तारीख-ए-हसन, तबकात-ए-अकबरी, तारीख-ए-फरिश्ता और तारीख-ए-कश्मीर में भी भूकंप के बारे में जानकारी दी गई है. इसकी पूरी जानकारी अब तक नहीं मिली है.

क्या तैयार हो सकता है एआई मॉडल

अमेरिका, चीन और जापान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मॉडल तैयार कर वहां पर भविष्य में आने वाले भूकंप का अनुमान लग रहे हैं. भारत को लेकर इस तरह के मॉडल पर प्रोफेसर जावेद का कहना है कि भूकंप और पृथ्वी से जुड़ी अन्य आपदाओं को लेकर देश भर में अब कई संस्थान और विभाग खुल चुके हैं जिनमें लगातार शोध हो रहा है. आईआईटी कानपुर में भी भूकंप के सेडिमेंट्स की उम्र का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल स्टिम्युलेटेड लुमिनेशन (ओएसएल) मशीन का उपयोग किया जाता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का मॉडल बनाने की बात पर प्रोफेसर जावेद मलिक ने कहा, “भारत के परिप्रेक्ष्य में भूकंप के सभी सटीक और पूरे डाटा सेट नहीं हैं. भविष्य के अनुमान लगाने के लिए ऐतिहासिक साक्ष्य और इन डाटा सेट का होना आवश्यक है. ऐतिहासिक जानकारी को एआई मॉडल के साथ मिलाकर भूकंप की तीव्रता और अन्य बातों का पता लगाया जा सकता है. लेकिन, भविष्य के भूकंप का अनुमान लगाने के लिए किसी तरह के एआई मॉडल को तैयार होने में अभी थोड़ा समय लगेगा

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