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दरभंगा : संस्कृत विवि में दक्षता संवर्धन कार्यशाला, विशेषज्ञों ने अनुवाद की बारीकियों को समझाया

दूसरे दिन भी आधार पुरुषों ने जिज्ञासाओं को किया शान्त

दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे पांच दिवसीय संस्कृत अनुवाद दक्षता संवर्धन कार्यशाला के दूसरे दिन कई विषयों पर काफी गम्भीर मंथन व चिंतन हुआ। इसी क्रम में संस्कृत पाली एवं प्राकृत विभाग विश्वभारती शांति निकेतन, प. बंगाल के रिटायर्ड डायरेक्टर प्रो. अरुण रंजन मिश्र ने बहुभाषी शब्दावली का संस्कृत अनुवाद एवं संस्कृत विशिष्ट शब्दों का परिचय कराते हुए ‘कादंबरी’ के विशिष्ट शब्दों का अनुवाद एवं उसके स्वरूप का परिचय कराया। साथ ही, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट वेल्लूर मठ, प. बंगाल के संस्कृत एवं पाली विभाग के आचार्य
डॉ. गोपीकृष्ण रघु ने आज के सत्र में शब्दानुवाद, भावानुवाद एवं छायानुवाद के स्वरूप को बताते हुए उसमें आनेवाली समस्याओं पर प्रकाश डाला।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि आधार पुरुषों ने अनुवाद के समय अपनायी जाने वाली बारीकियों को समझाया और प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को भी बखूबी पूरा किया गया। डॉ. एल सविता आर्या, डॉ. रामसेवक झा, डॉ. त्रिलोक झा ने भी कार्यशाला के व्यवस्थित सम्पादन में मदद की। कार्यशाला में हिमाचल से डॉ. पुरुषोत्तम, पटना विश्वविद्यालय से डॉ. हरीश दास, सिवान से डॉ. बद्रीनारायण गौतम, छपरा से अंबरीश कुमार मिश्र, बक्सर से डॉ. क्षितीश्वरनाथ पांडे, तरौनी से डॉ. छविलाल, डॉ. निशा, मिथिला विश्वविद्यालय से डॉ. ममता स्नेही सहित लगभग 40 प्रतिभागियों ने शिरकत की।

 

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