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दरभंगा : रोजेदारों ने रखा रमजान का पहला रोजा, इफ्तार और सेहरी के लिए हुई लच्छा-सेवई-खजूर की खूब खरीददारी

वार्ड 37 के पार्षद सह सशक्त स्थाई समिति के सदस्य मो. रियासत अली अपने घर पर परिवार के लोगों के साथ रमजान की रोजे की इफ्तार करते

दरभंगा (नासिर हुसैन)। रविवार को रमजान का पहला रोजा रोजेदारों ने रखा और शनिवार को रमजान की पहली तरबीह पढ़ी गई। इसके साथ ही सेहरी कर रमजान का पहला रोजा पूरा हुआ। रमजान से एक दिन पूर्व इफ्तार और सेहरी के लिए दरभंगा टावर चौक स्थित बाजार में लोग ने अपनी-अपनी खरीददारी करते देखे गए। दूसरी ओर रमजान पर लच्छा, सेवई, खजूर, फल, इत्र और टोपी की भी दुकानें सजकर तैयार हो चुकी हैं। लोगों ने अपने लिए इत्र और टोपी की भी खरीददारी की। रमजान आते ही बाजारों में रौनक़ आ गई है। दूसरी ओर, फल-सब्जी के साथ-साथ कपड़े और चप्पलों की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ देखी गई। शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में रमजान पर लोग खरीददारी करने दरभंगा टावर चौक पहुंचते हैं।
करमगंज, छोटी काजीपुरा के इमाम हाजी मौलाना अब्दुल अल्लाम मिस्वाही ने रमजान की अहमियत और इसके फायदों के बारे में बताया कि बंदे इबादत से अपने अल्लाह को राजी करते हैं। उन्होंने बताया कि यह महीना सबसे आला और बरकत वाला माना गया है। मौलाना मिस्वाही ने बताया कि जितना हो सके हमें रोजे, नमाज, तरावीह, कुरआन पाक की तिलावत और इबादत के साथ बुरी बातों और बुरे कामों से खुद को दूर रखते हुए इस महीने में अच्छे काम करने चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरी इंसानियत के लिए रमजान रहमत और बरकत का जरिया बनकर आया है। उन्होंने बताया कि अल्लाह का रोजा के साथ कसरत, नमाज और कुरान की इबादत का हुक्म है। रोजे के बीच किसी तरह की बुराई, झगड़ा, फसाद से खुद को दूर रखना चाहिए। जितना हो सके दुनिया की बुराइयों से बचना चाहिए। इससे रोजेदारों के द्वारा रखे गए रोजे मे बरकत होती है। इमाम व हाजी मौलाना अब्दुल अल्लाम मिस्बाही ने बताया कि यह महीना सब्र और इबादत का है। रमजान का महीना पूरी इंसानियत के लिए रहमत और बरकत लेकर आता है। रमजान के महीने में एक-दूसरे के बीच खुशियां बांटें। रोजेदारों और पूरे देशवासियों को रमजान की बरकतों से मालामाल करें।

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