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मोदी कैबिनेट से मिली वक्फ बिल को मंजूरी, 10 मार्च से शुरू हो रहे संसद सत्र में पेश कर सकती है सरकार

डेस्क : मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी है, जिसे अब संविधानिक रूप से पारदर्शिता और प्रभावी प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इस विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की सिफारिशों के आधार पर कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं. सरकार इस विधेयक को बजट सत्र के दूसरे भाग में संसद में पेश कर सकती है. बजट सत्र का का दूसरा हिस्सा 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चलेगा.

इससे पहले 13 फरवरी को वक्फ बिल पर संसदीय समिति की रिपोर्ट संसद में पेश हुई थी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर वक्फ बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया गया है. अब इस बिल को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. अब इस बिल को बजट सत्र के दूसरे हिस्से में पेश किया जा सकता है.

इस्लामिक परंपरा में वक्फ एक धार्मिक दान होता है, जिसमें कोई संपत्ति धार्मिक या समाज कल्याण के उद्देश्य से दान की जाती है. वक्फ संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता और इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करना भी संभव नहीं होता, क्योंकि इसे “ईश्वर की संपत्ति” माना जाता है.

विधेयक का नया नाम – “UMEED Bill”
सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का नाम बदलकर “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास (UMEED) विधेयक” कर दिया है. यह नया नाम बेहतर प्रशासन, सशक्तिकरण और विकास के उद्देश्य को दर्शाता है.

मुख्य संशोधन और प्रावधान

महिला सशक्तिकरण: राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो मुस्लिम महिलाओं को सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान बरकरार रखा गया है.

ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व: राज्य वक्फ बोर्ड में अब एक मुस्लिम ओबीसी प्रतिनिधि भी शामिल होगा, जिससे समुदाय की भागीदारी बढ़ेगी.

अलग वक्फ बोर्ड: सरकार अब आगा खानी और बोहरा समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान कर सकती है.

महिलाओं का उत्तराधिकार अधिकार: वक्फ अलल औलाद (पारिवारिक वक्फ) के तहत, अब कोई भी वक्फ तभी बनाया जा सकेगा जब महिला वारिसों को उनका उचित अधिकार मिल जाए.

सरकारी संपत्तियों पर दावे: यदि किसी सरकारी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जाता है, तो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी जांच करेगा. जब तक रिपोर्ट पूरी नहीं होगी, संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा.

विवादित संपत्तियों का समाधान: जो वक्फ संपत्तियां कानूनी विवाद में हैं या सरकारी स्वामित्व वाली हैं, उन्हें वक्फ द्वारा उपयोग नहीं किया जा सकेगा.

ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली: वक्फ संपत्तियों का पूरा डेटा एक केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी.

वक्फ ट्रस्ट और ट्रस्ट लॉ: जो मुस्लिम ट्रस्ट वक्फ की तरह कार्य कर रहे हैं, लेकिन ट्रस्ट कानूनों के तहत आते हैं, उन्हें वक्फ अधिनियम से बाहर रखा जाएगा.

ट्रिब्यूनल के फैसलों की अपील: अब वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णयों को 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी.

वक्फ संपत्तियों की आय: वक्फ अलल औलाद से प्राप्त धन का उपयोग अब विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों की सहायता के लिए किया जा सकेगा.
इस विधेयक पर विपक्ष ने आपत्ति जताई थी, लेकिन सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया जो विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित किए थे. इसके विपरीत, बीजेपी और एनडीए के सांसदों द्वारा सुझाए गए संशोधन विधेयक में शामिल किए गए.

 

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