सेवा में,
जेपी नड्डा
राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी, नई दिल्ली
विषय : लोकप्रियता खो चुके सीटिंग विधायकों की बलि दी होती केजरीवाल ने तो आज उसकी सत्ता सुरक्षित रहती।बिहार चुनाव में उससे सबक लेने के संबंध में।
महोदय,
लगातार 20 वर्ष के शासन एवं केंद्र की सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए बड़े पैमाने पर सीटिंग उमीदवार को बदलना ही सत्ता विरोधी लहर की तपिश को कम कर सकता है।
निकटतम विरोधी उमीदवार को सत्तारूढ़ दल का मतदाता वोट नहीं करता है, जिसके कारण मजबूरी में नाराजगी व्यक्त कर सत्ता को वोट करता है या वोट नहीं करता है। दोनों ही स्थिति में वोट प्रतिशत का सत्ता को नुकसान हुआ। जब तीसरा विकल्प मिला, सत्ता से नाराज वोटर ने विकल्प को वोट कर दिया।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू का बुरा प्रदर्शन इसलिए हुआ, क्योंकि उसकी सीट पर लोजपा ने विकल्प के रूप में उमीदवार दे दिया था।
सत्ता विरोधी मतदाताओं ने विकल्प को वोट कर दिया, जिस कारण जदयू के अधिकतर विधायक चुनाव हार गए।
भाजपा के खिलाफ लोजपा ने विकल्प नहीं दिया तो भाजपा का प्रदर्शन संतोषजनक रहा था।
2025 के चुनाव में जन सुराज पार्टी सभी सीटों पर उमीदवार उतारेगी। सत्ता विरोधी वोट को एक प्लेटफॉर्म मिलेगा। जन सुराज पार्टी रिटायर अधिकारियों, शिक्षा माफिया एवं चिकित्सा माफिया की प्रथम पसंद है। वजह यह है कि उन्हें दौलत का प्रदर्शन कर चुनाव लड़ने और चुनाव जीतने का अच्छा विकल्प मिलेगा। प्रशांत किशोर जी पूरी शक्ति से चुनाव लड़ेंगे। वो एक तीसरे विकल्प के रूप में स्थापित होने के लिए अपना सर्वस्व झोंक देंगे। सभी राजनीतिक दलों ने प्रशांत किशोर जी को मोटी राशि देकर चुनाव प्रबंधन का कार्य करवाया था। आज उसी कमाई हुई राशि को फूंक कर वह किंग मेकर से किंग बनने का प्रयास कर रहे हैं।
अधिकतर सीटिंग विधायक का टिकट कटना तय है। कोई भी दल विधायक को बचाने के चक्कर में चुनाव नहीं गंवाएगा।उचित विकल्प नहीं मिलने की स्थिति में कुछ सीटिंग विधायक भाग्यशाली होंगे। विधायक नाराज हो जाएगा, इसलिए उम्मीदवारी का दावा नहीं करना, सीटिंग का टिकट कटेगा तो आपको छोड़ अन्य विकल्प ही नेतृत्व की नजर में होगा, यह सोच नुकसानदेह है।
याद रहे सफल नेतृत्व हर बिंदु पर बारीकी से काम करता है। भाजपा बार-बार सत्ता में आ रही है तो नेतृत्व पार्टी में मजबूती से रिफॉर्मेशन करता है। कई राज्यों में पहली बार के विधायक को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
नए लोगों के हाथ में संगठन का नेतृत्व दिया गया। सीटिंग विधायक के प्रदेश में बैठे आका अपनी मजबूती के लिए अपने शागिर्दों को टिकट दिलाने में पूरी ताकत झोंक देते थे। उन्हें पार्टी की हार-जीत से मतलब कम रहता था। अपने गुट के अधिकतम विधायक उम्मीदवार बनें, एकमात्र उद्देश्य होता था। अधिक सीटिंग विधायकों के जीतने पर वो मुख्यमंत्री के मजबूत दावेदार होते थे। पहली बार का विधायक मुख्यमंत्री और नया संगठनकर्ता टिकट लॉबी में नेतृत्व पर दबाव नहीं बनाता है। नेतृत्व गोपनीय सर्वे, जातीय भागीदारी आदि सभी विषय को ध्यान में रखकर उमीदवार का चयन करता है, जिससे विजय अभियान जारी रहता है। जदयू नेतृत्व को भी बारीक नजरिया रखकर अपनी सीट संख्या बढ़ाने के लिए उमीदवार चयन करना पड़ेगा। अगर, पांचों दल मजबूती से गठबंधन कर चुनाव लड़ें, उमीदवार चयन में सतर्कता बरतें तो एनडीए के 225 से अधिक विधायक चुनकर आएंगे।
इस महत्वपूर्ण विषय पर आपका सदैव पैना नजरिया रहता है, जिससे परिणाम विभिन्न राज्यों में पक्ष में रहे हैं। बिहार के परिप्रेक्ष्य में भी गठबंधन को गंभीरता से लागू करने पर परिणाम सार्थक होगा। अतः, आपसे विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें। मुझे दृढ़ विश्वास है कि इस चुनाव में पहली बार बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री होगा।
भवदीय
अमरनाथ गामी
पूर्व जिला अध्यक्ष
भाजपा दरभंगा जिला
9431286598
9471006008
24 फरवरी 2025
प्रतिलिपि
बीएल संतोष
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री
दिलीप जायसवाल
प्रदेश अध्यक्ष, बिहार
भिखूभाई दिलसानिया
संगठन महामंत्री, बिहार
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(निशांत झा)
श्री मान पूर्व विधायक जी शायद इतने अच्छे विचार अपने विधायकी समय में पार्टी को दिये रहते तो आपको सभी दल मे जाने की जरूरत नहीं पड़ती वैसे आपको मौका तो आपको तभी मिल सकता है जब कोई आपके दल का सीटिंग वेटिकट हो जाए आपके इस नेक विचार के लिए पार्टी आपको जरूर धन्यवाद देगी