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दरभंगा : आनंद मार्ग स्कूल का वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव धूमधाम से संपन्न

न्यूनतम लागत शुल्क पर आनंद मार्ग स्कूल छात्रों को दे रहा है आध्यात्मिक, नैतिक एवं संस्कार युक्त शिक्षा : डॉ. चौरसिया

वर्ष 1955 में स्थापित आनंद मार्ग संस्था का मूल उद्देश्य है नूतन समाज का निर्माण करना : स्नेहमाया

दरभंगा : शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य अर्थोपार्जन सहित आदर्श नागरिक तैयार करना होना चाहिए। आज शिक्षा में संस्कृति एवं संस्कार को महत्व न देकर, उसका व्यवसायीकरण हर स्तर पर तेजी से किया जा रहा है। अभिभावकों में भी अपने बच्चों को बड़े-बड़े एवं महंगे कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाने की होड़ लगी हुई है। उक्त बातें आनंद मार्ग स्कूल, रानीपुर, दरभंगा के वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के संस्कृत प्राध्यापक डॉ. आरएन चौरसिया ने मुख्य अतिथि के रूप में कही।

डॉ. चौरसिया ने वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव के लिए बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि यह स्कूल आनंद मार्ग संस्था के सिद्धांतों पर आधारित है जो न्यूनतम लागत शुल्क पर छात्रों को आध्यात्मिक, नैतिक एवं संस्कार युक्त शिक्षा दे रहा है। इसमें भारतीय संस्कृति एवं समाजसेवा पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। यहां खेलकूद, संगीत, नृत्य, योग, ध्यान आदि से युक्त उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जाती है, ताकि राष्ट्रभक्त आदर्श नागरिक तैयार हो सकें। साथ ही यहां निःशुल्क योग, साधना तथा प्रशिक्षण आदि के द्वारा जीवनशैली में वास्तविक परिवर्तन लानेवाले कार्यक्रम भी होते हैं।

मुख्य वक्ता के रूप में रांची से आई अवधुतिका आनंद स्नेहमाया आचार्या ने कहा कि आनंद मार्ग की कई संस्थाएं हैं जिनमें स्कूल, अनाथाश्रम, बीएड, मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज आदि शामिल हैं। आज शिक्षा के क्षेत्र में कड़ी प्रतियोगिताएं हैं, जिनसे बच्चों में ईर्ष्या, द्वेष आदि नकारात्मक भाव पैदा हो रहे हैं। नैतिकता की कमी के कारण ही समाज में अनेक अनैतिक कार्य हो रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजने की अपील करते हुए कहा कि 9 जनवरी, 1955 को स्थापित आनंद मार्ग संगठन का मूल उद्देश्य नूतन समाज का निर्माण करना है। यह स्कूल ‘नो प्रॉफिट- नो लॉस’ के सिद्धांत पर चलता है। यहां भी बच्चों के लिए अनुकूल स्कूल परिसर बनाया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में आनंद मार्ग स्कूल, लहेरियासराय के प्राचार्य अवधुत रत्नमुक्तानंद आचार्य ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा जरूर दिलवाएं। बच्चे भी खूब खेलें और आनंदित रहें, पर अपनी पढ़ाई पूरे मन एवं कड़ी मेहनत के साथ बेहतर ढंग से अवश्य ही करें।

स्वागत संबोधन में स्कूल की प्रिंसिपल अनिमा आचार्या ने बताया कि साल 2015 में स्थापित इस स्कूल में अभी पांचवीं क्लास तक पढ़ाई होती है, जिनमें गरीब माता-पिता के बच्चे भी न्यूनतम शुल्क में ही पढ़ते हैं। शिक्षिकाएं पूर्ण समर्पण के साथ स्कूल परिसर में रहकर पढ़ाती हैं।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए दरभंगा सदर ब्लाक के योग-नेचरो थेरेपिस्ट डॉ. शंभू मंडल ने विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों को विस्तार से बताते हुए अभिभावकों से अपने बच्चों का इस स्कूल में नामांकन कराकर अधिक-से-अधिक लाभ उठाने का आह्वान किया। कार्यक्रम में शिक्षिका प्रेरणा, लक्ष्मी तथा अर्चणा ने अत्यधिक सहयोग किया।

अतिथियों का स्वागत पाग, अंगवस्त्र तथा पुस्तक से किया गया। मौके पर स्कूल के बच्चे-बच्चियों ने ‘सारे जहां से अच्छा…’, ‘जैसी करनी वैसी भरनी…’, ‘संदेशे आते हैं हमें तड़पाते हैं…’, ‘बड़ा निक लागे आपन देशवा की माटी…’, ‘नन्हा -मुन्ना राही हूं…’, ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा…’, ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की…’, ‘आहा टमाटर बड़े मजेदार…’ एवं ‘छोटा बच्चा जान के…’ आदि गाने पर नृत्य तथा ‘बसंतराज’ व ‘टीचर’ ड्रामा, ‘पंडित जी’ नाटक आदि की बेहतरीन प्रस्तुति दी, जिसे अभिभावकों ने काफी सराहा। इस अवसर पर अनेक कलाकार बच्चों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ आनंद मूर्ति के चित्र पर पुष्पांजलि से, जबकि समापन राष्ट्रगान से हुआ।

 

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