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उन्नति का मूल मातृभाषा, सर्वाधिक मौलिक चिंतन मातृभाषा में ही संभव : प्रो. चन्द्रभानु

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मिथिला विवि के मानविकी संकाय द्वारा जुबली हॉल में समारोह आयोजित

काव्य पाठ प्रतियोगिता के प्रतिभागी किए गए सम्मानित

दरभंगा : भारत एक बहुभाषिक, बहुधार्मिक एवं बहुसांस्कृतिक देश है और यही इसकी आत्मा है। इनके सम्मान से ही भारत की एकता और अखंडता सुरक्षित रहेगी। भाषा का धर्म से कोई संबंध नहीं होता। केवल एक भाषा के विकास से ही भारत का विकास संभव नहीं है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के अंतर्गत हिन्दी, मैथिली, उर्दू तथा संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जुबली हॉल में आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह- 2025’ में मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा तथा शासन की व्यवस्था होने पर ही समाज एवं राष्ट्र का वास्तविक विकास होगा। सरकार द्वारा गठित अनेक आयोगों ने भी मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने का सुझाव दिया है, पर राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में ऐसा संभव नहीं हुआ, परंतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 आने पर फिर से मातृभाषा में शिक्षा की मांग जोर पकड़ रही है। प्रो. सिंह ने कहा कि अपनी मातृभाषा को अपनाने वाले जापान, जर्मनी, चीन, रूस आदि देश विकास के दौर में आगे हैं। अंग्रेजों द्वारा भारत के बहुभाषावाद पर बड़ा हमला हुआ, जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा है।

अध्यक्षीय संबोधन में मानविकी संकायाध्यक्ष एवं समारोह के संयोजक प्रो. मंजू राय ने कहा कि यद्यपि अंग्रेजी रोजगार की भाषा रही है, पर मातृभाषा हमारे दिल की आवाज होती है। इसलिए, हमें अपनी मातृभाषा को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भाषा की अपनी महत्ता होती है। अतः, कोई भी बाहर की दूसरी भाषा लोगों पर थोपी नहीं जा सकती है। प्रो. राय ने बताया कि बांग्ला भाषा की रक्षा हेतु शहीद हुए मातृभाषियों की याद में यूनेस्को द्वारा साल 1999 में हुई घोषणा के बाद यह दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है और यह वर्ष इसका जुबली वर्ष है।

इस अवसर पर संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम महतो, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया, जबकि उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. गुलाम सरवर ने शायरी के माध्यम से मातृभाषा के महत्व पर बल दिया। समारोह में हिन्दी, मैथिली, संस्कृत तथा उर्दू विभाग द्वारा पूर्व में आयोजित ‘बसंत ऋतु’ पर आधारित काव्य पाठ में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करनेवाले छात्र-छात्राओं को रैंक प्रमाण-पत्र तथा मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। वहीं, काव्य पाठ प्रतियोगिता में भाग लेनेवाले सभी प्रतिभागियों को भी सहभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। अतिथियों का स्वागत मोमेंटो एवं पुष्पगुच्छ से किया गया। स्नातकोत्तर संगीत एवं नाटक विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा बिहार गीत, कुल गीत तथा राष्ट्रगान की प्रस्तुति हुई, जबकि डीएसडब्ल्यू प्रो. अशोक कुमार मेहता ने बसंत ऋतु पर आधारित मैथिली में काव्य पाठ की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, पदाधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी सहित 300 से अधिक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। समारोह का उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया। मैथिली प्राध्यापक प्रो. अशोक कुमार मेहता के संचालन में आयोजित समारोह में अतिथियों का स्वागत मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत प्राध्यापक डॉ. आरएन चौरसिया ने किया।

 

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