मुजफ्फरपुर : इस साल 14 मार्च को होली है, लेकिन ट्रेनों में टिकटों की बुकिंग अभी से शुरू है। महज 50 सेकेंड में 80 प्रतिशत कन्फर्म टिकट दलालों के हाथ चले जा रहे हैं। शेष 20 प्रतिशत टिकट ही आमजन के लिए बच रही।
उसके बाद वेटिंग टिकटों की मारामारी शुरू हो जा रही। इससे होली में एक बार फिर दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से भी मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, बेतिया के लिए कन्फर्म टिकट का टोटा पड़ गया है।
होली में घर आने और वापस जाने वाले कामगार, नौकरीपेशा, व्यवसायी व छात्र परेशान हैं। उन्हें कहीं के लिए किसी भी श्रेणी की कन्फर्म टिकट नहीं मिल रही। टिकट के लिए रिजर्वेशन काउंटर का चक्कर काटने वालों का कहना है कि तत्काल ही नहीं जनरल आरक्षित टिकटों की बुकिंग शुरू होते ही सभी कन्फर्म टिकट पलक झपकते बुक हो जा रही। टिकट दलाल व्यवस्था में सेंध लगा चुके हैं। नई दिल्ली, आनंद विहार, अमृतसर, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, चेन्नई, बेंगलुरू जैसे शहर से बिहार आने के लिए कंफर्म टिकट उपलब्ध नहीं है।
प्रतिबंधित साफ्टवेयर से काटते है टिकट :
स्टेशन के बाहर दुकानों में बैठे दलाल इन कैश, मोबिल एडिट, सीकैश नाम के प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से पलक झपकते कन्फर्म तत्काल हैक कर ले रहे हैं। इसमें टिकट बुक करने वाले प्राइवेट और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) के एजेंट हैं। बदले में प्रति टिकट एक से पांच हजार रुपये वसूल रहे हैं। स्टेशनों पर अहले सुबह से लाइन में लगे यात्री हाथ मलते रह जा रहे हैं। टिकट दलाल 2.50 सेंकेड में ही सॉफ्टेवयर से टिकट बुक कर लेते है। एक बार में एक विंडो से तीन टिकट यानी अधिकतम 18 लोगों की टिकट बुक करते हैं।
40 प्रतिशत टिकट तत्काल के लिए आरक्षित:
ट्रेन की कुल आरक्षित टिकटों का करीब चालीस प्रतिशत तत्काल के लिए आरक्षित होता है। एसी टिकटों की बुकिंग रोजाना सुबह 10 बजे से और स्लीपर टिकटों की 11 बजे से शुरू होती है। तत्काल टिकट का किराया सामान्य से डेढ़ गुना अधिक लगता है। इस श्रेणी की टिकट लेने में भी यात्रियों के पसीने छूट रहे हैं।
मुजफ्फरपुर में कागज पर लगती है समानांतर लाइन :
मुजफ्फरपुर आरक्षण काउंटर के बाहर तत्काल टिकट के लिए समानांतर लाइन लगती है। यह लाइन कागज पर लगाई जाती है। जो व्यक्ति यहां नंबर लगाएगा, उसे ही अंदर तत्काल टिकट का विंडो खुलने पर जगह मिलेगी। कागज पर जिस नंबर पर होंगे, उसी नंबर पर वह अंदर की लाइन पर होंगे। इसके बाद वाणिज्य विभाग के पदाधिकारी टोकन देते हैं।