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मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की जरूरत : डॉ. गोपालजी ठाकुर

सांसद ने किया मिथिला महोत्सव का उद्घाटन, बेंगलुरु में मिथिलावासियों का उमड़ा जनसैलाब

मिथिला, मैथिली के विकास तथा विस्तार के लिए संकल्पित है मोदी सरकार : डॉ. गोपालजी ठाकुर

डेस्क (निशांत झा) : मिथिला-मैथिली के विकास, विस्तार, मिथिला की संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत तथा मिथिला की गरिमा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की आवश्यकता है। आज मिथिला क्षेत्र से 22 सौ किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित कर्नाटक के बंगलुरू शहर में पाग-चादर से सुसज्जित मिथिला के परिधान में हजारों मिथिलावासियों की उपस्थिति, इस बात का द्योतक है कि देश के हर कोने में एक नए मिथिला का निर्माण हो चुका है जो गौरव का विषय है। आज हम सभी को यह संकल्प लेने की जरूरत है कि हम अपनी मातृभाषा और अपने संस्कारों को प्रचारित करें तथा एक-दूसरे के बीच मजबूत समन्वय बनाकर अपनी एकजुटता बनाकर रहे।
कर्नाटका मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के तत्वाधान में बेंगलुरु शहर में आयोजित एक दिवसीय मिथिला महोत्सव का उद्घाटन करते हुए दरभंगा सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर ने अपने उद्गार में उपरोक्त बातें कही।

सांसद डॉ. ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया, जिसके बाद आयोजन समिति द्वारा सांसद डॉ. ठाकुर को पाग-अंगवस्त्र से सम्मानित भी किया गया।
सांसद ने मिथिला महोत्सव की आयोजन समिति का आभार प्रकट करते हुए कहा कि अपने क्षेत्र दरभंगा से दो हजार किलोमीटर दूर मिथिला महोत्सव के लिए उन्हें आमंत्रित किया जाना उनके लिए गौरव और प्रसन्नता की बात है, क्योंकि मातृभूमि की सेवा करना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है।

सांसद डॉ. ठाकुर ने कर्नाटका सांस्कृतिक परिषद् के बैनर तले आयोजित मिथिला महोत्सव के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मिथिला क्षेत्र के लोग कन्याकुमारी से कश्मीर तथा पोरबंदर से सिलचर तक देश के चारों ओर हर कोने में रह रहे हैं। यदि हर जगह इसी तरह के आयोजन से मिथिला और मैथिली की चर्चा की जाएगी तो एक तरफ मिथिला की सांस्कृतिक पहचान को एक नया आयाम मिलेगा, वहीं दूसरी ओर आपसी एकजुटता का भी प्रदर्शन होगा।

सांसद डॉ. ठाकुर ने इस महोत्सव की महत्ता की जमकर चर्चा करते हुए कहा कि सभ्यता के विकास के साथ ही आदिकाल में मिथिला क्षेत्र में कर्नाट वंशीय शासकों के माध्यम से मिथिला क्षेत्र के ज्ञान और संस्कार को विस्तार मिला था। यही कारण है कि आज भी कर्नाटका और मिथिला क्षेत्र के बीच बहुत सारी समानताएं विद्यमान हैं।

सांसद डॉ. ठाकुर ने मिथिला-मैथिली के देश स्तर पर विस्तार में केंद्र की मोदी सरकार की पहल और प्रयासों की जमकर सराहना करते हुए कहा कि जब से मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है तथा मैथिली भाषा को सीबीएसई बोर्ड में शामिल किया गया है, तब से देश के हर कोने में मैथिली भाषा के माध्यम से पठन-पाठन की सुविधा उपलब्ध हो गई है तथा अब पीएम श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में विमोचन तथा इसे संसदीय कार्यप्रणाली का हिस्सा बनाने से अब मिथिला के लोग देश के हर भाग में अपनी मातृभाषा के माध्यम से न्यायिक और वैधानिक कार्यों का संपादन भी कर सकते हैं।

इस महोत्सव में मैथिली लोकगीतों के दर्जनों नामचीन कलाकारों द्वारा अपने गायन से वातावरण को मिथिलामय बना दिया गया।

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