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शब-ए-बारात की रात हमें अपनी इबादतों से अल्लाह को राजी कर अपने गुनाहों की बख्शीश करानी चाहिए : हाजी मौलाना अब्दुल अल्लाम मिस्वाही

बोले- सब-ए-बारात इबादत की रात, अपने अल्लाह को मनाने की रात, अपनी बख्शीश खुदा से कराने की रात

दरभंगा (नासिर हुसैन)। करमगंज छोटी काजीपुरा मस्जिद के इमाम हाजी मौलाना अब्दुल अल्लाम मिस्बाही ने शब-ए-बारात के मौके पर बताया कि शब-ए-बारात को शब-ए-कद्र की रात भी कहा जाता है। अल्लाह तआला का लाख-लाख शुक्र और एहसान है जो अपने बंदों की बख्शीश और मगफिरत के लिए कुछ खास दिन अता किया है। इसमें एक रात 15वीं शाबान की रात होती है जो आज की रात है। इस रात को शब-ए-बारात की रात कहा जाता है। इस रात को अल्लाह तआला के बंदों को बख्शीश के लिए मगरीब से लेकर सुबह सूरज निकलने से पहले तक इबादत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अल्लाह से हमें अपने व अपने गुजरे लोगों के लिए बख्शीश और रहमत का तलबगार बनना चाहिए। मौलाना अल्लाम मिस्वाही ने कहा कि हमें इस रात ज्यादा-से-ज्यादा इबादत करनी चाहिए, कुरआन पाक की तिलावत करनी चाहिए और नमाज पढ़नी चाहिए। अपने मरहूमों के लिए मकसीरत बख्शीश कुरआन पाक पढ़कर उनकी रूह को चैन और सुकून पहुंचाना चाहिए। अल्लाह तआला हमें और आपको इस रात की बरकतों से मालामाल करें आमीन।

 

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