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दरभंगा : संस्कृत विवि शोध परिषद की बैठक में पांच दर्जन से अधिक प्रारूपों पर हुआ विचार

विषय परिवर्तन व नए पर्यवेक्षक पर भी लगी मुहर

दरभंगा। कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय की अध्यक्षता में संस्कृत विश्वविद्यालय के पुराने वीसी सचिवालय में बुधवार को आयोजित स्नातकोत्तर शोध परिषद (पीजीआरसी) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मौके पर सभी सदस्यों को साधुवाद देते हुए कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि 2017 में राजभवन से स्वीकृत शोध विनियमावली के अनुरूप ही शोध प्रारूप समेत अन्य प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। साथ ही शोध की गुणवत्ता बनी रहे, इसका विशेष ख्याल रखना होगा। विभिन्न संकायों के पांच दर्जन से अधिक शोध प्रारूपों पर विचार करते हुए मुख्यतः सात प्रस्तावों पर परिषद की मुहर लग गई। इसी के साथ 03 सितंबर, 2023 को आयोजित गत बैठक की कार्यवाही को भी सम्पुष्ट कर दिया गया। इस बैठक के सभी प्रस्तावों के क्रियान्वयन प्रतिवेदन को भी शोध व प्रकाशन प्रभारी डॉ. दिलीप कुमार झा ने पटल पर रखा।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि वेद विभाग के प्राध्यापक डॉ. सत्यवान कुमार के आकस्मिक निधन के बाद उनके बदले डॉ. ध्रुव मिश्र को पर्यवेक्षक बनाए जाने का प्रस्ताव भी परिषद से पारित हो गया। इसी तरह, दो गवेषक के शोध विषय में किए गए आंशिक परिवर्तन पर भी परिषद सदस्यों ने अपनी सहमति जता दी। विद्यावाचस्पति के एक गवेषक को एक साल के लिए अवधि विस्तार दी गई है। वहीं, एक शैक्षणिक सत्र के लिए नामित किये गए नए-पुराने 38 सदस्यों के नामों पर भी परिषद ने अपनी मुहर लगा दी है। इसी बीच, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा ने छह मासीय प्राकशोध परीक्षा उत्तीर्ण गवेषकों को अंक पत्र उपलब्ध कराने का मुद्दा उठाया। जवाब में कुलसचिव प्रो. ब्रजेशपति त्रिपाठी ने कहा कि नियमानुकूल सभी को मार्क्स सीट दे दिया जाएगा। बैठक के सचिव शोध प्रभारी प्रो. झा ने सभी मान्य सदस्यों का स्वागत किया और विषय वस्तु पर प्रकाश डाला।

संकाय वार गवेषकों की स्थिति

आज की पीजीआरसी की बैठक में कुल सात संकायों से विद्यावारिधि (पीएचडी) के 63 एवं विद्यावाचस्पति (डीलिट) के एक गवेषक के शोध प्रारूप विचार के लिए लाए गए थे। सबसे अधिक 35 गवेषक साहित्य विषय में तथा सबसे कम तीन आयुर्वेद विषय के थे। इसी तरह, ज्योतिष संकाय के 11 तथा वेद के छह गवेषकों के शोध प्रारूप विचार के लिए उपस्थापित किये गए थे। व्याकरण विषय के भी आठ शोध प्रारूप पर चर्चा हुई।
बैठक में कुलपति प्रो. पांडेय, कुलसचिव प्रो. त्रिपाठी के साथ साथ पूर्व कुलपति शिवाकांत झा, डॉ. उपेंद्र झा वैदिक व डॉ. उमेश शर्मा, वाराणसी के डॉ. कमलेश झा, डॉ. लक्ष्मीनाथ झा, डॉ. राजेश्वर दुबे, प्रॉक्टर डॉ. पुरेन्द्र वारिक, डॉ. कुणाल कुमार झा, डॉ. दयानाथ झा, डॉ. विनय कुमार मिश्र, डॉ. ध्रुव मिश्र, डॉ. शंभू शरण तिवारी, डॉ. सुधीर कुमार, शाखा प्रभारी डॉ. अनिल कुमार झा व डॉ. रविन्द्र कुमार मिश्र समेत अन्य सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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