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मुजफ्फरपुर : प्रो. हरेंद्र सिंह ‘विप्लव’ के जयंती समारोह में उठी ‘बज्जिका अकादमी’ के गठन और ‘द्वितीय राजभाषा’ का दर्जा देने की मांग

बज्जिका भाषा के 10 साहित्यकारों को उपहार एवं सम्मान-पत्र देकर महाकवि हरेंद्र सिंह ‘विप्लव’ स्मृति साहित्य साधना सम्मान किया गया प्रदान

मुजफ्फरपुर। अखिल भारतीय बज्जिका साहित्य सम्मेलन एवं विश्व बज्जिका परिषद के संयुक्त तत्वावधान में छोटी सरैयागंज स्थित श्री नवयुवक समिति ट्रस्ट भवन के सभागार में आज लोक भाषा बज्जिका के प्रथम महाकवि प्रोफेसर हरेंद्र सिंह विप्लव की 96वीं जयंती के अवसर पर स्मृति समारोह का आयोजन किया गया. इसमें बज्जिका के साहित्यकारों एवं समाजसेवियों और आंदोलनकारियों ने एक स्वर में नीतीश सरकार पर बज्जिका भाषा की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए बज्जिका अकादमी के गठन की मांग की और इसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने की भी मांग की गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगीत वंदे मातरम के सामूहिक गान के साथ हुआ। तत्पश्चात मुख्य अतिथि देवेंद्र राकेश कार्यक्रम अध्यक्ष उदय नारायण सिंह एवं कार्यक्रम संयोजक आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और महाकवि प्रोफेसर हरेंद्र सिंह विप्लव के चित्र पर पुष्पांजलि की। इस अवसर पर बज्जिका भाषा के 10 साहित्यकारों को उपहार एवं सम्मान-पत्र देकर महाकवि हरेंद्र सिंह विप्लव स्मृति साहित्य साधना सम्मान प्रदान किया गया।

अपने उद्घाटन संबोधन में देवेंद्र राकेश ने कहा कि बज्जिका बिहार की प्राचीनतम लोकभाषा है, जिसे लोकप्रिय बनाने में महाकवि विप्लव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनका महाकाव्य ‘कच-देवयानी’ भारतीय भाषाओं में रचित अन्य महाकाव्य के समतुल्य है जो बज्जिका भाषा भाषियों के लिए गर्व का विषय है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने कहा कि बज्जिका भाषा की अकादमी नहीं होने के कारण इस भाषा के साहित्यकारों और उनकी रचनाओं को सरकारी सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है। इसके कारण बज्जिका पिछड़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि दो महीने के अंदर बिहार सरकार ने बज्जिका अकादमी का गठन नहीं किया तो बज्जिका भाषा भाषी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह भी मांग की कि बज्जिका को राजकीय राजभाषा का दर्जा दिया जाए। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उदय नारायण सिंह ने कहा कि महाकवि विप्लव की दर्जनों पुस्तक आज हमारी धरोहर हैं और अप्रकाशित पांडुलिपियों को प्रकाशित करवाना हम सभी का परम कर्तव्य है। विप्लव जी का बज्जिका के विकास में योगदान और उसे लोकप्रिय बनाने का अथक परिश्रम हमारे लिए आदर्श उदाहरण है।

स्मृति समारोह को मणि भूषण प्रसाद सिंह अकेला, पद्मनाभन विप्लव, अनिल कुमार, रघुनाथ मोहम्मदपुरिया, हंस लाल शाह, डॉक्टर अनिल धवन, अरुण कुमार शुक्ला आदि ने भी संबोधित करते हुए विप्लव जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर बज्जिका भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने हेतु रघुनाथ मोहब्बतपुरिया, गौरी शंकर भक्ति, उदय नारायण सिंह, मणि भूषण प्रसाद सिंह, अवधेश तृषा, अनिल अनल, अनिल कुमार, हंस लाल शाह तथा दिलीप कुमार को महाकवि हरेंद्र सिंह विप्लव स्मृति साहित्य साधना सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बज्जिका साहित्यकारों ने विविधतापूर्ण रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उदय नारायण सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन अरुण कुमार शुक्ला ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पद्मनाभ विप्लव, अरुण कुमार, अनिल कुमार, राजीव कुमार, शिवम, गोपाल, सत्यनारायण राम, दिलीप कुमार, हमलांडू प्रसाद सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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