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मखाना बोर्ड के गठन से मिथिला को मिलेगी वैश्विक पहचान : डॉ. गोपालजी ठाकुर

मखाना बोर्ड के गठन पर सांसद ने जताई प्रसन्नता, कहा- मखाना बोर्ड का गठन साढ़े आठ करोड़ मिथिलावासियों के लिए वरदान, वर्षों की मेहनत हुई सफल

नई दिल्ली/दरभंगा (निशांत झा) : मिथिला क्षेत्र का मखाना यहां के लिए एक रोजगार उपलब्ध कराने वाली खेती के साथ-साथ संस्कृति और विरासत की पहचान भी है। इसके माध्यम से यहां के किसानों तथा युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा ठोस पहल शुरू कर दी गई है। केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड का गठन तथा दरभंगा में मखाना प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की घोषणा इसका ज्वलंत उदाहरण है।

दरभंगा सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपालजी ठाकुर ने इस बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा को साढ़े आठ करोड़ मिथिलावासियों के हित में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता का प्रमाण बताते हुए कहा कि अब इसके माध्यम से मखाना खेती से जुड़े किसानों को उचित मूल्य, बेहतर तकनीक तथा वैश्विक बाजार उपलब्ध होगा जो यहां के युवाओं के लिए रोजगार सृजन के मुद्दे पर मील का पत्थर साबित होगा।

सांसद डॉ. ठाकुर ने मखाना के मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता तथा संकल्पों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दरभंगा में स्थापित राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र का मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय दर्जा समाप्त कर दिया था, लेकिन केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद लोकसभा में मुद्दा उठाने तथा इस दर्जे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संज्ञान में देने पर 18 साल बाद तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दरभंगा आकर फिर से राष्ट्रीय दर्जा वापस करने की घोषणा की तथा पीएम मोदी ने इसके विकास के लिए मत्स्य सम्पदा योजना के तहत दस हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया।

सांसद डॉ. ठाकुर ने मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा को मिथिला क्षेत्र के लिए वरदान बताते हुए कहा कि पूरे बिहार में 35 हजार हेक्टेयर में मखाना की खेती की जाती है, जिसमें 25 हजार हेक्टेयर की जमीन में मिथिला के मात्र दस जिले दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, सीतामढ़ी तथा किशनगंज में खेती की जाती है, जिससे यहां के लिए मखाना बोर्ड की महत्ता को समझा जा सकता है। मखाना बोर्ड की घोषणा को मिथिला क्षेत्र को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मोदी सरकार की भगीरथी पहल बताते हुए सांसद डॉ. ठाकुर ने कहा कि इस खेती के नए अनुसंधान, इसके उत्पादन, प्रसंस्करण, गुणवत्ता और व्यापारिक सुधार के लिए यह बोर्ड दूरगामी और प्रभावी निर्णय साबित होगा।

 

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