डेस्क : अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने इस मामले में उनकी सजा के खिलाफ दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा पर भारत के मुंबई शहर में 2008 में हुए आतंकवादी हमले में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है.
तहव्वुर राणा, जो अब 63 वर्ष के हो चुके हैं, लॉस एंजिल्स की एक जेल में बंद हैं. जब भारत ने उनके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी सरकार से अनुरोध किया, तो उसे मंजूरी मिल गई थी. वह मुंबई हमलों में अपनी भूमिका के लिए कई गंभीर अपराधों का सामना कर रहे हैं. उन्हें पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली, जिसे “दाऊद गिलानी” भी कहा जाता है, के साथ जोड़ा जाता है. हेडली मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था, और राना ने उसे और पाकिस्तान में स्थित अन्य आतंकवादियों को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकवादी संगठन की मदद करने में सहायक भूमिका निभाई थी.
भारत ने 4 दिसंबर 2019 को तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका को एक कूटनीतिक नोट सौंपा था. इसके बाद, 10 जून 2020 को भारत ने राणा के अस्थायी गिरफ्तारी की याचिका दायर की थी, ताकि उनका प्रत्यर्पण किया जा सके. जो बाइडन प्रशासन ने राणा के प्रत्यर्पण को समर्थन प्रदान किया और इसे मंजूरी दी. भारत और अमेरिका के बीच 1997 में एक द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि है, जिसके तहत यह प्रक्रिया लागू हुई है.
राणा ने अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी निचली अदालतों और कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी थी, जिनमें सैन फ्रांसिस्को की यू.एस. कोर्ट ऑफ अपील्स भी शामिल थी. 13 नवंबर को उन्होंने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में “विट ऑफ सर्टियोरी” याचिका दायर की थी, जो कि उनके मामले में एक अंतिम कानूनी कदम था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, और उनका प्रत्यर्पण भारत के लिए मंजूर कर दिया.
यह फैसला भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत है, क्योंकि इससे यह साबित होता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक और प्रभावी है. अब तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत में किया जाएगा, जहां उन्हें 26/11 हमले के लिए न्याय का सामना करना होगा.