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UP : हिंदी प्रचार समिति ने किया सम्मान, बोले वरिष्ठ पत्रकार सर्वेश सिंह- ‘हिंदी पत्रकारिता में गहरा रहा है भाषा का संकट’

डेस्क : यूपी के मुरादाबाद में राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति ने गुरुवार को नगर में आयोजित काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार, उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश कुमार सिंह को सम्मानित किया। गोष्ठी लाइनपार स्थित गुरु जम्भेश्वर विश्नोई धर्मशाला में आयोजित थी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. महेश दिवाकर ने की।

गोष्ठी में मुख्य अतिथि सर्वेश कुमार सिंह ने कहा कि काव्य मन के भाव व्यक्त करने के साथ ही व्यक्ति को सकारात्मक कार्यों के लिए प्रेरित करता है। कविता में राष्ट्र प्रेम, सामाजिक एकता को जागृत करने की अद्भुत क्षमता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में कवियों ने समाज जागरण किया। श्री सिंह ने कहा कि साहित्य का पत्रकारिता में भी अमूल्य योगदान है। किंतु, आज हिंदी पत्रकारिता में भाषा की शुद्धता का संकट गहराता जा रहा है। इसके साथ ही, पत्रकारिता को विश्वसनीयता की पूंजी को भी संजो कर रखना है।

श्री जंभेश्वर धर्मशाला में बाल दिवस पर राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की मासिक काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह में विशिष्ट अतिथि ओंकार सिंह ‘ओंकार’, रहे। सरस्वती वंदना राम सिंह ‘निशंक’ ने एवं मंच संचालन अशोक विद्रोही द्वारा किया गया। बाल दिवस पर सर्वेश कुमार सिंह उत्तर प्रदेश पत्रकार संघ के अध्यक्ष का सम्मान रुद्राक्ष की माला, योगेन्द्र पाल बिश्नोई के जीवन पर आधारित, ‘अमृत महोत्सव ग्रंथ’ पुस्तक एवं शॉल ओढ़ाकर किया गया। डॉ. महेश दिवाकर ने उनका पूर्ण परिचय कराया ।

काव्य पाठ के क्रम में डॉ. महेश दिवाकर ने कहा, ‘उठो कमर कसकर उठो लो हाथों तलवार ! सत्य अहिंसा से सखा किसे मिले अधिकार।।’ अशोक विद्रोही ने राष्ट्रप्रेम के भाव इस प्रकार व्यक्त किये- हिंद का अब नया युग शुरू हो गया विश्व में फिर से भारत गुरु हो गया, देश को आज केसरिया रंग भा गाया। कैसा सुंदर-सा ये आवरण आ गया।’ राम सिंह निशंक ने पढा़- ‘सूरज से अठखेलिया करता आया शीत, दुबक रजाई में गए लोग हुए भयभीत ।।’ ओंकार सिंह ओंकार ने इस प्रकार अपनी अभिव्यक्ति दी- ‘समय मिले तो खेलो खेल, खेल खेल में कर लो मेल। खेल चुको तो पढ़ो किताब, ऊंचे-ऊंचे देखो ख्वाब ।।’ राजीव प्रखर ने पढा- ‘मिटना अब भी शेष है, अन्तस से ॲंधियार। जाते-जाते कह गया, दीपों का त्योहार।।’ रघुराज सिंह निश्चल ने पढ़ा, ‘नभ से तोड़ सितारे लाओ, खुशियों में डुबकियां लगाओ। बस यह कुछ नुस्खे अपनाओ, फोकट में चर्चा में आओ।।’ बाल कवि डॉ. राकेश चक्र ने पढ़ा- ‘फांसी के फंदे जो झूले, उनका हिंदुस्तान कहां है? टुकड़े करने वाले बोलो, भारत का अरमान कहां है?’ रामदत्त द्विवेदी ने कहा- ‘क्यों बच्चे खूंखार हो गए? क्यों समाज पर भार हो गए?’ इंदू रानी ने पढ़ा- ‘वह भी तो हमसे रिश्ता निभाता कभी। हो अगर कुछ कमी तो बताता कभी ।।’ काव्यगोष्ठी में महीका परमार बाल कवियित्री ने महारानी पद्मिनी के जोहर पर वीर रस की एक लंबी कविता सुना कर सभी का दिल जीत लिया। सभी ने किसी-न-किसी रूप में उसे सम्मानित किया।

काव्य गोष्ठी में डॉ. तुलसीराम, डॉ. ओम प्रकाश, कुंदन लाल, डॉ. अक्षेन्द्र सारस्वत, मुस्कान एवं अन्य कवियों ने भी प्रतिभाग किया और कविता पाठ कर प्रशंसा में तालियां बटोरीं। राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति के संरक्षक योगेंद्र पाल बिश्नोई एवं राम सिंह निशंक, अध्यक्ष समिति द्वारा आभार अभिव्यक्ति के उपरांत काव्य गोष्ठी विश्राम पर पहुंची।

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