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डोनाल्ड ट्रंप ने खत्म की जन्म आधारित नागरिकता, जानें भारतीयों पर क्या होगा असर

डेस्क : दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने तेजी से फैसले लेने शुरू कर दिए हैं, जिसका असर पूरी दुनिया पर देखा जा सकता है. अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए सख्त फैसले के अलावा ट्रंप ने अमेरिका में जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता को भी खत्म करने का आदेश जारी कर दिया है.

इससे पहले तक अमेरिका के कानून के मुताबिक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ट्रंप के इस फैसले का असर भारत सहित कई देशों पर भी पड़ने वाला है. जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता (Birthright Citizenship) से हर साल हजारों की संख्या में अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को वहां की नागरिकता मिलती है, जो अब मुश्किल हो सकती है.

जन्म आधारित नागरिकता एक कानूनी सिद्धांत है, जिसके तहत किसी भी देश में जन्मे बच्चे को उस देश की नागरिकता मिलती है, चाहे उसके माता-पिता का नागरिकता या प्रवास का दर्जा कुछ भी हो.

राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश के अनुसार, अमेरिका में जन्मे बच्चे को तभी नागरिकता दी जाएगी जब उसके माता-पिता में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक हो. राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को Birthright citizenship के अधिकार को बदलने के आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं. ट्रंप की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अब से 30 दिन बाद अमेरिका में जन्मे बच्चों में पर ये आदेश लागू होगा.

आदेश में कहा गया है कि 14वें संशोधन की व्याख्या गलत तरीके से की गई है. ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि “अमेरिका में जन्म लेने वाले वे लोग, जो अमेरिकी अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आते, उन्हें नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए.”

अमेरिका में 54 लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो अमेरिकी जनसंख्या का लगभग 1.47% हैं. इनमें से दो-तिहाई लोग प्रवासी हैं, जबकि 34% अमेरिकी मूल के हैं. ट्रंप के फैसले का सबसे बड़ा असर उन भारतीय परिवारों पर पड़ेगा, जो अस्थायी वीजा (जैसे H1B) या टूरिस्ट वीजा पर हैं.

इन परिवारों के अमेरिका में जन्मे बच्चों को अब स्वतः नागरिकता नहीं मिलेगी. यह आदेश उन भारतीय परिवारों को भी प्रभावित करेगा, जो “बर्थ टूरिज्म” के तहत अमेरिका जाकर बच्चों को जन्म देते हैं.

“बर्थ टूरिज्म” वह प्रक्रिया है, जिसमें महिलाएं अमेरिका जाकर बच्चे को जन्म देती हैं ताकि उसे अमेरिकी नागरिकता मिल सके. मेक्सिको और भारत के परिवार इस पद्धति का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं. ट्रंप के आदेश में इसे रोकने की भी व्यवस्था की गई है.

के इस फैसले को तुरंत कानूनी चुनौती मिली है. न्यू हैम्पशायर के प्रवासी अधिकार संगठनों ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए अदालत में चुनौती दी है.

अमेरिकी संविधान के विशेषज्ञों का मानना है कि 14वें संशोधन को दोबारा परिभाषित करना आसान नहीं होगा. यह मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है. यह आदेश 30 दिनों में प्रभावी होने वाला है, लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है.

 

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