डेस्क :भारत की पश्चिमी सीमाओं पर “त्रिशूल” नामक सैन्य अभ्यास ने पाकिस्तान की नींद हराम कर दी है। गुजरात और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों से लेकर संवेदनशील सर क्रीक क्षेत्र तक भारतीय सेनाओं की यह विशालकाय तैयारी न केवल रणनीतिक रूप से सशक्त संदेश देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि नया भारत अब केवल सीमाओं की रक्षा नहीं करता, बल्कि आक्रामक तत्परता की स्थिति में है।हम आपको बता दें कि 30 अक्तूबर 2025 से शुरू हुआ यह 12 दिवसीय त्रि-सेवा अभ्यास सेना, नौसेना और वायुसेना, तीनों की संयुक्त क्षमता का प्रदर्शन है। लगभग 20,000 सैनिक, टी-90 टैंक, राफेल और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान, आकाश व ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियाँ, नौसैनिक युद्धपोत और विशेष बल कमांडो इस अभ्यास का हिस्सा हैं। “त्रिशूल” का उद्देश्य स्पष्ट है— संयुक्त युद्ध क्षमता, तीव्र आक्रामक प्रतिक्रिया और किसी भी संभावित युद्ध परिदृश्य में समन्वित जवाबी हमला करने की योग्यता को परखना। मई 2025 में हुए “ऑपरेशन सिंदूर” से सीखे गए सबक अब इस अभ्यास में परिष्कृत रूप में दिख रहे हैं।
