Chhath Puja 2025: लोकआस्था के महापर्व का आज तीसरा दिन है, मंगलवार को उगते सूरज को अर्ध्य देने के बाद ही चार दिवसीय छठ का समापन होगा। आपको बता दें कि छठ पूजा पर महिलाएं न सिर्फ व्रत रखती हैं, बल्कि अपने श्रृंगार में पारंपरिक प्रतीकों का भी विशेष ध्यान रखती हैं।इनमें से एक है नाक से लेकर मांग तक लगाया नारंगी सिंदूर। यह सिर्फ सुहाग का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपा है गहरा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व, जिसे कि हर किसी को जानना बहुत जरूरी है।
सुहाग का प्रतीक (Chhath Puja 2025)हिंदू संस्कृति में सिंदूर को स्त्री के सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। विवाहित महिलाएं इसे अपनी लंबी वैवाहिक आयु और पति के कल्याण की कामना से धारण करती हैं। छठ पूजा के समय जब महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं, तो यह उनके अखंड सौभाग्य और पूर्ण समर्पण का प्रतीक बन जाता है।
आराधना का श्रृंगार’यह एक तरह से ‘आराधना का श्रृंगार’ है, जो देवी ऊर्जा की उपासना का हिस्सा है। कहते हैं ऐसा करके पत्नियां अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना कर रही हैं। छठ में नारंगी रंग का सिंदूर सूर्य का लालिमा का प्रतीक माना जाता है।
ऊर्जा और स्वास्थ्य से जुड़ा संबंध (Chhath Puja 2025)वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो सिंदूर में हल्दी, चूना और पारा (Mercury) का मिश्रण होता है। पारा एक ऐसी धातु है जो शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित करने और मानसिक शांति देने का कार्य करता है। जब सिंदूर को माथे से नाक तक लगाया जाता है, तो यह आज्ञा चक्र (भ्रूमध्य) और नासिका के पास स्थित तंत्रिकाओं को सक्रिय करता है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, थकान कम होती है और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है।
पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्ता (Chhath Puja 2025)छठ पर्व में महिलाओं का श्रृंगार बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। साड़ी, बिंदी, कंगन और सिंदूर – ये सभी वस्तुएं देवी ऊर्जा का आह्वान करती हैं। जिनका मतलब सिर्फ इतना ही अपनों की सलामती का प्रार्थना करना है। छठ पूजा में नाक तक लगाया गया सिंदूर सिर्फ एक श्रृंगार का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह शक्ति, स्वास्थ्य, सौभाग्य और सकारात्मकता का प्रतीक है।
