डेस्क : शनिवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 34 पैसे गिरकर 86.20 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया. यह गिरावट कई आर्थिक दबावों का परिणाम है. विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने बताया कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती, जो मुख्यतः डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली नई अमेरिकी सरकार की संभावित व्यापारिक नीतियों की वजह से है, रुपये की कमजोरी का प्रमुख कारण बनी. रुपये की इस गिरावट का असर आम जनता पर भी पड़ेगा, क्योंकि आयातित वस्तुएं, खासकर पेट्रोलियम उत्पाद, महंगे हो सकते हैं. इसके अलावा, विदेश में पढ़ाई या यात्रा करने वालों की लागत में भी वृद्धि होगी.