दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो प्रभाकर पाठक ने कहा दिनकर ने भारत को भौगोलिकता की परिधि से ऊपर उठाकर सद्भाव, सहयोग,बंधुता, आत्मीयता सदाशयता से मंडित वैश्विक संस्कृति की उदात्तता के रूप में परिभाषित किया है। इन्हीं मानवीय मूल्यों के धरातल पर उन्होंने भारतीयता का मनोरम भवन खड़ा किया है। प्रो. पाठक को महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय, दरभंगा के हिन्दी विभाग की ओर से दिनकर जयंती के अवसर पर आयोजित दिनकर की दृष्टि में भारत और भारतीयता विषयक संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य,डॉ शंभू यादव ने किया। विशिष्ट अतिथि पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ अमरकान्त कुमर ने दिनकर की किसको नमन करूँ मैं शीर्षक कविता रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा राष्ट्रकवि की आंखों में भारत की जो उदात्त छवि रची-बसी हुई थी। उसी को साकार रूप देने के लिए उन्होंने आजीवन रचनात्मक संघर्ष किया। भारतीयता उनके लिए सभी महनीय मानव मूल्यों का पूंजीभूत
रूप है। जिसे आधार बनाकर वे वैश्विक संस्कृति को नई ऊंचाई देना चाहते थे। स्वागत भाषण हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.
सतीश कुमार सिंह ने कहा क्रांति, ओज और पौरुष को स्वर देने वाले कवि दिनकर का अंतर्मन भारतवर्ष को व्याख्यायित करते समय मोम सा पिघल जाता है। और वे सुकुमार भाव से भारत की समता और ममता पर आधारित ऐसी छवि गढ़ते हैं जिससे प्रेरणा ग्रहण कर विश्व आपसी कलह,संशय,अविश्वास से ऊपर उठकर पारस्परिक सद्भाव पर आधारित नई संस्कृति का सृजनात्मक अध्याय सिरज सकता है। संगोष्ठी को मध्य प्रदेश से आए चंद्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर कॉलेज,सीहोर के प्राचार्य डॉ. रोहिताश्व कुमार शर्मा,डॉ ज्वाला चन्द्र चौधरी ने संबोधित किया। डॉ. संगीता कुमारी ने दिनकर की ‘शहीद स्तवन’
कविता का सस्वर गायन किया। स्वस्ति वाचन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार झा ने किया। संचालन डॉ सुप्रिता शालिनी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संगीता कुमारी ने किया। संगोष्ठी में कॉलेज के परीक्षा नियंत्रक डॉ. नंदकिशोर झा, डॉ. मनोज कुमार वर्मा, डॉ. रंजन कुमार, डॉ. शत्रुध्न मिश्र, डॉ. नरेंद्र कुमार नीरज,डॉ. मणिशंकर झा, डॉ. रणवीर कुमार,प्रो. अशोक कुमार, डॉ. सुजीत कुमार साफी,डॉ. वंदना कुमारी,डॉ. कुमार सरस्वती, डॉ. अनुप्रिया, डॉ. प्रियंका लाल, डॉ.राम प्रभाकर मिश्र, डॉ. आनंद मोहन झा ने सहभागिता किया।