डेस्क :आज का भारत विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहा है। पहले जब हम अंत्योदय की बात करते थे तो इसका अर्थ था कि हर गरीब को अन्न, वस्त्र और आश्रय मिल जाए। लेकिन अब समय बदल चुका है। आज अंत्योदय केवल पेट भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आवास, डिजिटल सुविधा, कौशल विकास और आत्मसम्मान जैसे कई आयाम शामिल हो गए हैं। यही वजह है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का वह विचार आज और भी सजीव लगता है, जिसमें उन्होंने कहा था—“गरीबी केवल भौतिक अभाव का नाम नहीं, बल्कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के विकास में बाधा है।
