अहमदाबाद : अहमदाबाद के आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन योगेंद्र गांधी को एक कॉल प्राप्त हुआ, जिसमें कॉलर ने कहा, ‘रोगी ज्योतिबेन भरवाड़ तीव्र प्रसव पीड़ा में हैं।’ यह सुनते ही 108 की टीम घटनास्थल पर पहुँची, और वहाँ डॉ. मुकेश ने EMT को बताया कि बच्चा ब्रिच प्रेजेंटेशन में है। यानी सामान्यतः प्रसव के दौरान शिशु का सिर गर्भाशय के मुख से बाहर आता है, लेकिन जब पैर या अन्य अंग पहले बाहर आते हैं तो इसे ब्रिच डिलीवरी कहते हैं।
प्रोटोकॉल के अनुसार, EMT योगेंद्रकुमार ने ऑनलाइन मेडिकल निर्देश के लिए डॉ. कल्पेश से संपर्क किया। उनके मार्गदर्शन में, पायलट अजीत सिंह गोहेल सहित EMT ने मां को एम्बुलेंस में सावधानीपूर्वक शिफ्ट किया और इलाज शुरू किया।
रास्ते में, EMT योगेंद्रकुमार ने मां को IV (इंट्रावेनस) लाइन लगाई और ऑक्सीजन देना शुरू किया। प्रसव के अन्य संकेतों की जाँच की। जाँच में पाया गया कि शिशु की नाल गर्दन में लिपटी हुई थी। ऐसे में 108 की टीम ने महिला को अस्पताल पहुँचाने के बजाय एम्बुलेंस में ही प्रसव कराने का निर्णय लिया। EMT ने ब्रिच डिलीवरी के लिए आवश्यक तैयारी की, एम्बुलेंस के हैलोजन लैंप को गर्मी के लिए चालू किया और पायलट को वाहन को सुरक्षित स्थान पर पार्क करने के निर्देश दिए। ब्रिच डिलीवरी में बर्न्स-मार्शल तकनीक का उपयोग करते हुए शिशु का सिर बाहर निकाला गया। गले में लिपटी नाल को कुशलता से हटाया गया और सफलतापूर्वक शिशु का जन्म कराया गया।
जन्म के बाद, शिशु का शरीर नीला था और वह रो नहीं रहा था। EMT ने तुरंत एयरवे सक्शन किया, शिशु को साफ किया, नाल क्लैंप की, काटी और शिशु को गर्म रखने के लिए कपड़े में लपेटा। शिशु का APGAR स्कोर 0 था, इसलिए EMT ने बैग-वाल्व-मास्क वेंटिलेशन और CPR शुरू किया। लगातार CPR के बाद शिशु की हृदय गति प्रति मिनट 80 तक पहुँच गई।
6 मिनट तक BVM वेंटिलेशन देने के बाद, शिशु की हृदय गति प्रति मिनट 120 पर स्थिर हो गई और श्वसन दर प्रति मिनट 26 हो गई। EMT ने अपनी कुशलता और डॉक्टर के निर्देशानुसार एम्बुलेंस में ही प्रसव कराया, और मां ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। इस प्रकार 108 की टीम ने मां और शिशु दोनों की जान बचाई और परिवार में खुशी ला दी।
इसके बाद मां और शिशु को लगभग 20 किलोमीटर दूर LG अस्पताल में सुरक्षित ले जाया गया। हेंडओवर के समय दोनों की हालत स्थिर थी। LG अस्पताल के गाइनोकॉलजिस्ट ने कहा, “यह दुर्लभ मामलों में से एक है। ऐसी स्थिति में बचने की संभावना 10,000 में से केवल 1 होती है।” उन्होंने 108 टीम की असाधारण देखभाल और समय पर हस्तक्षेप के लिए सराहना की। वर्तमान में मां और शिशु अस्पताल में सुरक्षित हैं और खतरे से बाहर हैं। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को संभालने में 108 टीम के प्रयासों की अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रशंसा की।