डेस्क : भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कट्टरपंथी समूह हिज्ब-उत-तहरीर को आतंकवादी संगठन घोषित करते हुए प्रतिबंध लगा दिया है. गुरुवार को गृह मंत्रालय ने हिज्ब-उत-तहरीर पर बैन लगाते हुए इस संगठन को खतरनाक आतंकी समूहों की लिस्ट में डाल दिया है. सरकार ने संगठन को भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा और अंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल प्लेटफॉर्म इसकी जानकारी देते हुए लिखा, ‘संगठन आतंक के विभिन्न कृत्यों में शामिल है, जिसमें भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल करने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए कट्टरपंथी बनाना शामिल है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘ये संगठन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है. मोदी सरकार आतंकवादी ताकतों से सख्ती से निपटकर भारत को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है’. एक अधिसूचना में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, सुरक्षित ऐप्स का उपयोग करके और भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बैठकें आयोजित करके आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) एक संगठन है जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों को शामिल करके जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंककर भारत सहित विश्व स्तर पर इस्लामिक राज्य और खिलाफत स्थापित करना है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है.’ बुधवार को, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पुडुचेरी में ‘भारत विरोधी संगठन की विचारधारा को बढ़ावा देकर’ असंतोष और अलगाववाद फैलाने से संबंधित तमिलनाडु स्थित हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) मामले में एक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया था.
हिज्ब-उत-तहरीर 1953 में यरूशलेम में स्थापित, एक वैश्विक पैन-इस्लामिक समूह है. समूह का मुख्यालय लेबनान में है और यह यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित कम से कम 30 से अधिक देशों में संचालित होता है. HuT का इजरायल और यहूदियों के खिलाफ हमलों की अधिक व्यापक रूप से प्रशंसा करने और जश्न मनाने का इतिहास रहा है. कई देशों ने अपनी विध्वंसक गतिविधियों के लिए HuT पर प्रतिबंध लगा दिया है. जिन देशों ने पहले ही समूह पर प्रतिबंध लगा दिया है उनमें जर्मनी, मिस्र, ब्रिटेन और कई मध्य एशियाई और अरब देश शामिल हैं.