डेस्क : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (ECI) की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया ने राज्य की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का पर्दाफाश किया है. आयोग की जांच में सामने आया कि वोटर लिस्ट में 18 लाख मृत व्यक्ति, 26 लाख दूसरे क्षेत्रों में शिफ्ट हुए मतदाता, और 7 लाख ऐसे मतदाता हैं जो दो जगह पंजीकृत हैं.
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता बनाए रखने और अयोग्य वोटरों को हटाने के लिए की जा रही है. आयोग का कहना है कि संविधान का अनुच्छेद 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धाराएं 16 और 19 के तहत केवल वही व्यक्ति वोट देने के पात्र हैं जो नागरिकता, उम्र और निवास संबंधी शर्तों को पूरा करते हैं.
SIR प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें इस कवायद पर सवाल उठाए गए. कोर्ट ने आयोग से आधार, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के वैध साधन के रूप में मानने के निर्देश दिए हैं.
EC ने हलफनामे में कहा कि इन दस्तावेजों का उपयोग केवल पहचान की पुष्टि के लिए किया जा रहा है, न कि मतदाता को अयोग्य ठहराने के लिए. यह भी स्पष्ट किया गया कि आधार नंबर देना व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर है और इसका उपयोग कानून के अनुसार ही हो रहा है.
EC के अनुसार, बिहार में SIR प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी फर्जी, मृत या अयोग्य व्यक्ति वोटर लिस्ट में न रह जाए. इस कवायद के पूरा होते ही राज्य में स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव हो सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को निर्धारित की है.