डेस्क : महाराष्ट्र (Maharashtra) के बीड जिले (Beed) में एक सरकारी अस्पताल (Government Hospital) ने एक नवजात बच्चे को ‘मृत’ घोषित कर दिया. परिवार वाले जब गमगीन माहौल में बच्चे को दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी 24 घंटे से ज्यादा समय के बाद बच्चे में हरकत हुई और वो रोने लगा. यह हैरान कर देने वाली घटना 7 जुलाई को बीड के अंबाजोगाई में स्थित स्वामी रामानंद तीर्थ ग्रामीण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई.
कैज तालुका के होल गांव की रहने वाली एक 31 साल की महिला ने ऑपरेशन के जरिए एक बच्चे को जन्म दिया. यह एक प्रीमैच्योर डिलीवरी थी, यानी बच्चा समय से काफी पहले (सिर्फ 27 हफ्तों में) पैदा हो गया था. जन्म के समय बच्चे का वजन भी बहुत कम, सिर्फ 900 ग्राम था.
अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, जन्म के बाद बच्चे ने न तो कोई हरकत की और न ही वो रोया. डॉक्टरों ने बच्चे की जान बचाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने उसे सांस देने वाली मशीन (बैग और मास्क वेंटिलेशन) लगाई, जरूरी इंजेक्शन दिए और कई दूसरी मेडिकल प्रक्रियाएं भी अपनाईं. यह सब कुछ बच्चे की मां के दो करीबी रिश्तेदारों के सामने करीब एक घंटे तक चलता रहा. लेकिन बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अगली सुबह, अस्पताल ने बच्चे के शव को परिवार को सौंप दिया.
बच्चे के चाचा, दिलीप राख ने बताया कि वे बच्चे को लेकर करीब 20 किलोमीटर दूर अपने गांव चले गए थे. उन्होंने कहा, “मेरी बहन के दो बच्चे पहले भी प्रीमैच्योर हुए थे, लेकिन वे बच गए थे. हमें लगा कि इस बार हमारी किस्मत खराब है और हम बच्चे के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. बच्चे को एक सफेद कपड़े में लपेटा गया था, तभी अचानक हमने उसमें हरकत देखी और फिर वो जोर से रोने लगा.”
यह देखकर पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वे तुरंत बच्चे को लेकर वापस उसी सरकारी अस्पताल भागे. बच्चे की मां, जो अस्पताल में ही भर्ती थी, अपने तीसरे बच्चे को जिंदा और हरकत करता देख अपने आंसू नहीं रोक पाई.
डॉक्टरों ने क्या कहा
अस्पताल के डीन, डॉ. शंकर धापटे ने इस घटना को बेहद दुर्लभ बताया. उन्होंने इसके पीछे दो मेडिकल वजहें बताईं: ‘लाजरस सिंड्रोम’ और ‘सस्पेंडेड एनिमेशन’.
लाजरस सिंड्रोम (Lazarus syndrome): यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मृत घोषित किए जाने के बाद मरीज अपने आप फिर से जिंदा हो जाता है.
सस्पेंडेड एनिमेशन (Suspended animation): यह खासकर प्रीमैच्योर बच्चों में होता है, जिसमें जन्म के तुरंत बाद शरीर के जरूरी अंग, जैसे दिल और फेफड़े, कुछ समय के लिए काम करना बंद कर देते हैं और फिर अचानक काम करने लगते हैं.
डॉक्टरों ने कहा कि यह मेडिकल लापरवाही का मामला नहीं है. बच्चे के चाचा ने भी कहा कि उन्हें डॉक्टरों से कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि उन्होंने बच्चे को बचाने की पूरी कोशिश उनके सामने ही की थी.
फिलहाल, बच्चे को अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में वेंटिलेटर पर रखा गया है. डॉक्टरों का कहना है कि अगले कुछ हफ्ते बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उसका जन्म समय से बहुत पहले हुआ है और वजन भी बहुत कम है. अस्पताल ने इस मामले की आगे की जांच के लिए पांच सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई है.