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गुजरात में बनेगा देश का दूसरा सबसे बड़ा स्पेस स्टेशन, ISRO ने शुरू की तैयारी, ₹10000 करोड़ होगा खर्च

डेस्क : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब गुजरात को देश की अंतरिक्ष तकनीक में बड़ी भूमिका देने जा रहा है. जी हां, गुजरात में जल्द ही देश का दूसरा सबसे बड़ा अंतरिक्ष स्टेशन बनने जा रहा है. यह जानकारी इसरो केस्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने दी है. उन्होंने बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम तेजी से चल रहा है. इसकी अनुमानित लागत 10,000 करोड़ रुपये होगी. नीलेश देसाई ने बताया कि यह नया अंतरिक्ष स्टेशन दीव और वेरावल के बीच बनाया जाएगा. यहीं से इसरो अपने PSLV और SALV रॉकेट लॉन्च करेगा.

इसका स्थान बहुत ही रणनीतिक रूप से चुना गया है क्योंकि भूमध्य रेखा के करीब गुजरात की स्थिति अंतरिक्ष मिशनों के लिए बड़ा लाभ देती है.

गुजरात की अपनी ‘स्पेस मिशन पॉलिसी’
जैसे केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर स्पेस नीति लागू की है, उसी तर्ज पर गुजरात सरकार ने भी एक नई ‘स्पेस मिशन पॉलिसी’ शुरू की है. इसका उद्देश्य है कि राज्य को स्पेस टेक्नोलॉजी और रिसर्च के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जाए. इस नीति से ना केवल ISRO को मदद मिलेगी, बल्कि युवाओं को भी नए अवसर मिलेंगे.

ISRO के अगले बड़े लक्ष्य
नीलेश देसाई ने बताया कि ISRO अब अपने 70% मिशन कम्युनिकेशन, नेविगेशन और रिमोट सेंसिंग सिस्टम्स पर केंद्रित कर रहा है. इसके अलावा, ISRO की नजर अगले तीन बड़े प्रोजेक्ट्स, चंद्रयान-5 मिशन, गगनयान मिशन** (जिसमें इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा) और वीनस ऑर्बिटर मिशन पर भी है. इन सभी को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

52 उपग्रहों का नया नेटवर्क
भारत सरकार ने ISRO को निर्देश दिया है कि अप्रैल 2026 तक पहला उपग्रह एक नए 52-सैटेलाइट निगरानी नेटवर्क का लॉन्च करे. इसमें से 31 सैटेलाइट्स ISRO बनाएगा और लॉन्च करेगा, जबकि बाकी के 21 सैटेलाइट्स तीन निजी कंपनियों के जरिए बनाए जाएंगे. यह पूरा नेटवर्क 2029 तक तैनात कर दिया जाएगा.

गुजरात में बनने वाला यह नया स्पेस स्टेशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. इससे न सिर्फ अंतरिक्ष अनुसंधान को बल मिलेगा, बल्कि देश की तकनीकी क्षमताएं भी और मजबूत होंगी.

 

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