इस सरकार ने सभी विभागों के कर्मचारियों-अधिकारियों को अपनी मनमानी करने की दे रखी है खुली छूट
बलदेव सिंह राणा
इंद्री : हरियाणा की भाजपा सरकार भले ही ईमानदार सरकार होने की डींगें हांक रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और ही है, क्योंकि इस सरकार ने सभी विभागों के कर्मचारियों-अधिकारियों को अपनी मनमानी करने की खुली छूट दे रखी है, जिस कारण प्रदेशवासी आएदिन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री विभिन्न चैनलों, सोशल मीडिया तथा प्रिंट मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक घोषणा करते हैं कि सीएम विंडो पर आनेवाली प्रत्येक शिकायत का समाधान 15 दिनों में करके अधिकारी सरकार को रिपोर्ट करेंगे, लेकिन सीएम के आदेश का अधिकारियों को रत्तीभर भी खौफ नहीं है, जिस कारण पिछले चार-पांच वर्षों से सीएम विंडो पर शिकायतों की फाइलें धूल फांक रही हैं और शिकायतकर्ता सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारी इतने भ्रष्ट व नाकारा हो चुके हैं कि उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगता या फिर उन्हें सरकार का कोई डर नहीं है.
इंद्री उपमंडल के गांव रसूलपुर निवासी बलदेव सिंह राणा ने साल 2022 में सीएम विंडो पर एक शिकायत डाली थी कि उनके गांव में वन विभाग की जो सरकारी भूमि है, उसपर शेख मुस्लिम लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है तथा उक्त लोग वन विभाग की सरकारी भूमि पर लगे पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, अतः वन विभाग की सरकारी भूमि को अवैध कब्जों से तुरंत मुक्त करवाया जाए. उक्त शिकायतकर्ता पिछले करीब चार साल से अपनी शिकायत के समाधान के लिए वन विभाग व सरकारी विभागों के चक्कर काट रहे हैं. उनके द्वारा सीएम विंडो पर भेजी गई शिकायत की फाइल अन्य फाइलों की तरह ही धूल फांक रही है और वन विभाग के अधिकारी उस शिकायत की फाइल को मरा हुआ सांप समझकर किसी अन्य अधिकारी के गिरेबान में डालने का अथक प्रयास कर रहे हैं. शिकायतकर्ता ने जब-जब वनविभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्हें अधिकारियों द्वारा रटा-रटाया जवाब मिला कि आपकी शिकायत एसडीएम, डीएफएसओ व तहसीलदार के पास भेज दी गई है, जिसमें वन विभाग द्वारा अपनी भूमि को कब्जामुक्त करवाने के लिए पुलिस फोर्स की मांग की गई है तथा वन विभाग की सरकारी भूमि पर जिन लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, उन्हें विभाग द्वारा नोटिस भेज दिया गया है. वन विभाग के दारोगा अमित ने उस नोटिस की फोटो कॉपी शिकायतकर्ता को देते हुए कहा कि अगर उन्हें जिला प्रशासन द्वारा कब्जा हटवाने के लिए पुलिस फोर्स उपलब्ध करवाई गई तो उक्त भूमि से अवैध कब्जे को हटवा दिया जाएगा. शिकायतकर्ता ने बताया कि यह नोटिस वन विभाग द्वारा आनन-फानन में टाइप करके उन्हें थमाया गया, क्योंकि इस नोटिस पर न तो विभाग द्वारा डायरी नंबर अंकित है और न ही स्टैंप साइन है.
वन विभाग ने अपनी भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करवाने के लिए दोबारा कानूनगो को शिकायत-पत्र की कॉपी भेज दी है. अब इस मामले में कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सरकार व जिला प्रशासन की है. अमित कुमार, दारोगा, वन विभाग, (इंद्री, करनाल)