दरभंगा। संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना शाखा-दो के प्रशाखा पदाधिकारी विजय शंकर झा आज सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने करीब चार दशक तक यहां विभिन्न पदों पर अपनी सेवा दी है। उनकी विदाई पर आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय में उनका योगदान दिए करीब आठ माह हो रहे हैं। इतने कम समय मे ही उन्होंने देखा कि श्री झा अपने कार्यो के प्रति सजग व संवेदनशील रहे। अन्य कर्मियों को भी उनसे सीखने की व प्रेरणा लेने की जरुरत है। सेवानिवृति होने के बाद कर्मी कुछ मामलों में स्वतंत्र हो जाते हैं और परिवार को ज्यादा समय दे पाते हैं। पारिवारिक दायित्व का निर्वहन भी बेहद जरुरी है।उन्होंने श्री झा के स्वस्थ दीर्घायु रहने की माँ श्यामा से प्रार्थना भी की। वहीं, सेवानिवृत्त श्री झा ने चार दशक पूर्व की यादों को ताजा किया और किन परिस्थितियों में उन्होंने आज तक का सफर तय किया, इसे भी बयाँ किया। वहाँ मौजूद, नए व पुराने कर्मी सभी भावुक हो गए। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि इसी क्रम में डॉ. शिवलोचन झा, डॉ. पवन कुमार झा, डॉ. दिनेश झा, कर्मचारी नेता डॉ. अनिल कुमार झा व डॉ. रविन्द्र कुमार मिश्र समेत अन्य पदाधिकारियों ने भी श्री झा के कार्यो की प्रशंसा की। मौके पर डॉ. दीनानाथ साह, डॉ. उमेश झा, डॉ. सुनील कुमार झा व अन्य कर्मी उपस्थित थे।