राष्ट्रीय

कश्मीरी युवक ने सुनाई आपबीती- ‘पहले बोला कलमा सुनाओ, मैंने सुनाया तो छोड़ दिया, फिर दूसरे को बोला कलमा सुनाओ, उसने भी सुनाया तो उसे भी छोड़ दिया, तीसरे को भी बोला कलमा सुनाओ, उसने नहीं सुनाया तो आतंकियों ने उसे गोलियों से भून दिया !’

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