विश्वविद्यालय गृहविज्ञान विभाग में पीजी एनएसएस इकाई द्वारा पोषण पखवाड़ा के दौरान निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता आयोजित
निबंध, भाषण एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में 50 से अधिक एनएसएस के छात्र-छात्राओं की हुई सहभागिता
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा की स्नातकोत्तर एनएसएस इकाई, विश्वविद्यालय गृहविज्ञान विभाग तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में 8 से 23 अप्रैल, 2025 के बीच मनाये जा रहे “पोषण पखवाड़ा” के दौरान आज भाषण, निबंध एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन स्नातकोत्तर गृहविज्ञान विभाग में किया गया, जिसमें गृहविज्ञान, मैथिली, जन्तु विज्ञान, राजनीति विज्ञान, रसायन विज्ञान आदि से नेहा प्रवीण, माया, गुंजन, साहिल, प्रिया, सुगंधा, दुलारी, समरेश, अभिषेक आदि 50 से अधिक छात्र- छात्राओं ने भाग लिया। ‘स्वस्थ आहार, सशक्त नारी : पोषण से सशक्तिकरण की ओर’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता, ‘पोषण पूर्ण प्रारंभ : उज्ज्वल भविष्य की नींव’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता तथा ‘छोटी कदम, बड़ी उड़ान : प्रथम 1000 दिवस के पोषण का महत्व’ विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए एनएसएस के विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ. आरएन चौरसिया ने कहा कि प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने से न केवल छात्रों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है, बल्कि बेहतरीन चरित्र-निर्माण भी होता है। छात्र एक- दूसरे के विचारों एवं गुणों से काफी कुछ सीखते हैं तथा आगे से और भी बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम हो जाते हैं। यदि सही जानकारी एवं पोषण- जागरूकता हो तो कम खर्चे में भी आवश्यक पोषक पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। पोषक आहार न केवल हमें ऊर्जा देते हैं, बल्कि हमारे शरीर के विकास, मरम्मत एवं रोगों से लड़ने की क्षमता को भी मजबूत करते हैं।
प्रतियोगिताओं के निर्णायक मंडल के सदस्यों में डॉ. प्रगति एवं डॉ. प्राची मरवाहा के नाम शामिल हैं। डॉ. प्रगति ने पोषण के महत्वों को रेखांकित करते हुए कहा कि बर्गर, पिज्जा, नूडल्स, पकोड़े, कुरकुरे, चिप्स आदि तले-भुने एवं मसालेदार भोज्य पदार्थ स्वादिष्ट तो होते हैं, पर पोषक नहीं। ये हमारे शरीर के पाचन तंत्र को काफी क्षति पहुंचाते हैं। भारत में 30% से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने एनएसएस के कार्यक्रमों में फाउंडेशन की ओर से मदद करने का संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से युवाओं के साथ ही पूरे समाज को लाभ होता है।कहा कि पोशाक संतुलित एवं स्वच्छ भोजन बच्चों के जीवन का महत्वपूर्ण आधार है। इसे मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर आदि रोगों से बचाव होता है। शुरुआती 6 माह तक बच्चों के लिए मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनएसएस पदाधिकारी डॉ सोनू राम शंकर ने कहा कि पोषक भोज्य पदार्थ जरूरी नहीं कि मांहगे मूल्यों पर ही मिले। यदि जानकारी हो तो गांव-घर में कम दामों पर मिलने वाले साग- सब्जी, मौसम फल, मिश्रित दाल, अंकुरित अनाज, हरी सब्जी आदि शरीर के लिए काफी पोष्टिक होते हैं। आगत अतिथियों का स्वागत डॉ प्राची मरवाह ने कहा कि भाषण देना एक कला है। निरंतर अभ्यास से इसमें निखार आता है। वहीं धन्यवाद ज्ञापन जेआरएफ एवं शोधार्थी रंभा कुमारी ने किया।