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दरभंगा : ‘जुड़शीतल महोत्सव’ में ‘संस्कृति की प्रकृति’ पर चर्चा

(निशांत झा) : मिथिला के महान लोकपर्व जुड़शीतल के आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व को जनमानस तक पहुंचाने के उद्देश्य से मंगलवार को सामाजिक संस्था मोद मंडली के तत्वावधान में जुड़शीतल महोत्सव का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा के संचालन में शहर के शुभंकरपुर में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि जुड़शीतल पर्व शीतलता और आशीर्वाद का प्रतीक है। इस अवसर पर बड़े लोग छोटों के सिर पर पानी डालकर आशीर्वाद देते हैं। यह आशीर्वाद इसलिए दिया जाता है कि वे पूरे साल क्रोध को त्याग कर शीतलता के साथ अपना जीवन यापन करें। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा ओम प्रकाश ने इस पर्व की परंपरा में निहित लोकाचारों को रेखांकित करते कहा कि इस पर्व में सत्तू और बासी भात खाने का रिवाज है। यह इसलिए कि इसे ग्रहण करने से आम व खास लोगों के शरीर को भरपूर मात्रा में प्रोटीन मिल सके। सत्तू को ‘गरीब का प्रोटीन’ कहा जाता है। यह पौष्टिक और ऊर्जा से भरपूर होता है। विष्णु कुमार झा ने कहा कि मिथिला में आज भी पुरानी परंपराओं का जीवित होना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। तुलसी में मिट्टी का बना डाबा और कुश सहित जल अर्पण करने का आध्यात्मिक के साथ ही पर्यावरणीय महत्व है। इस पर्व में पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश निहित है।
सिविल सेवा के सेवानिवृत अधिकारी सह दरभंगा के चर्चित पूर्व उप विकास आयुक्त विवेकानन्द झा ने कहा कि वर्तमान समय में यह पर्व पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक एकता का प्रतीक बन गया है। लोग एक-दूसरे पर पानी छिड़कते हैं और पौधों को सींचते हैं। पेड़-पौधों और जानवरों को पानी देकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया जाता है। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि जुड़शीतल पर्व का लोक जीवन में बड़ा महत्व है। यह आस्था के साथ-साथ प्रकृति से भी जुड़ा हुआ पर्व है। इस दिन पेड़ों में पानी दिया जाता है ताकि आने वाली गर्मी से राहत मिले और वातावरण शुद्ध हो। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन का आयोजन किया गया। इसमें हरिश्चंद्र हरित, मणिकांत झा, अमरनाथ चौधरी, शंभुनाथ मिश्र, सुभाष चन्द्र झा, प्रवीण कुमार झा आदि ने मिथिला की वर्तमान सामाजिक एवं सांस्कृतिक दशा व दिशा पर केंद्रित अपनी रचनाएं पढी। कार्यक्रम में आगत अतिथियों का स्वागत मोद मंडली के अध्यक्ष श्रवण कुमार झा, सचिव संतोष कुमार झा, विनोद कुमार झा, पुष्कर ठाकुर, बंटी, विनय कुमार झा, वीरेंद्र कुमार झा, इंद्र मोहन झा, बालेंदु झा आदि ने पाग व दोपटा से किया। कवि सम्मेलन के उपरांत समापन सत्र में आकाशवाणी दरभंगा के कलाकार केदारनाथ कुमर की पारंपरिक मैथिली गीतों की संगीमय प्रस्तुति श्रोताओं के विशेष आकर्षण के केंद्र में रही।

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