रचनात्मक ऊर्जा के लिए मानव जीवन में धार्मिक साधना जरूरी : डॉ. गोपालजी ठाकुर
दरभंगा (निशांत झा) : लोभ मोह माया क्रोध अहंकार जैसी कुप्रवृतियों का त्याग किए बिना जीवन के उद्देश्यों को सफल नहीं बनाया जा सकता है। कलियुग में रचनात्मक ऊर्जा के लिए नाम संकीर्तन और भागवत कथा के श्रवण का काफी महत्व है।
स्थानीय सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डा गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा शहर के उत्सव भवन में पूर्व डिजी एस के झा के सौजन्य से चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान में भाग लेने के बाद उपरोक्त विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर सांसद डा ठाकुर ने चर्चित कथावाचक परमपूज्य श्री अभिषेक पाठक जी को पाग अंगवस्त्र से सम्मानित कर उनसे आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
सांसद डॉ. ठाकुर ने इस मौके पर धर्म और धार्मिक साधना की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति में हर व्यक्ति के लिए धर्म आधारित जीवन पवित्रता का प्रतीक माना जाता है इसलिए जीवन में रचनात्मक ऊर्जा के लिए धार्मिक आस्था और सद्विचार का होना जरूरी है।
सांसद डॉ. ठाकुर ने दरभंगा सहित मिथिला क्षेत्र को धार्मिक साधना का आदि भूमि बताते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही यहां धर्म और धार्मिक साधना के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों को सनातन धर्म में प्रतिष्ठित माना गया है, जिसके अनेक उदाहरण इतिहास में विद्यमान है।