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महाराष्ट्र के पुणे में दरभंगा सांसद डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने विभिन्न कार्यक्रमों में की शिरकत, गिनाईं बिहार की उपलब्धियां

बोले- बिहार और महाराष्ट्र के बीच मजबूत भावनात्मक संबंध, बिहार से बाहर रहकर भी बिहारियों के सपने, संस्कार तथा बोली में बिहार जिंदा है

पुणे (निशांत झा) : ‘बिहारी प्रवासी बिहार से दूर हो सकते हैं, लेकिन अपने सपने, अपनी बोली तथा संस्कारों के बदौलत बिहार की अस्मिता तथा पहचान महाराष्ट्र सहित देश के हर कोने में जिंदा है। मैं महाराष्ट्र के प्रति आभार प्रकट करना चाहता हूं, जिसने प्रवासी बिहारियों को उनके सपनों को साकार करने का अवसर दिया। यहां की पवित्र भूमि ने प्रवासी बिहारियों को कर्मभूमि दी।’ बिहार फाउंडेशन के द्वारा बिहार दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दरभंगा सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर ने उक्त विचार व्यक्त किए।

सांसद डॉ. ठाकुर ने बिहार दिवस के अवसर पर वहां रह रहे प्रवासी बिहारियों एवं प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ संवाद कार्यक्रम, रामकथा ज्ञान यज्ञ, एक भारत श्रेष्ठ भारत स्नेह मिलन तथा प्रेस वार्ता सहित दर्जनों कार्यक्रमों में भाग लिया।

सांसद डॉ. ठाकुर ने 113वें बिहार दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में इसकी महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय गणराज्य में बिहार प्रांत का अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है। आज जब हम सभी बिहार के 113वें स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार दिवस मना रहे हैं तो बिहार की प्राचीन गरिमा, इसकी विरासत तथा गरिमा को रेखांकित करना आवश्यक है, ताकि बिहार की युवा पीढ़ी के साथ देश के लोगों को बिहार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त हो सके। सांसद डॉ. ठाकुर ने बिहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग करते हुए बिहार तथा उड़ीसा प्रांत की घोषणा की गई तथा 1 अप्रैल 1912 से बिहार एक अलग प्रांत के रूप में स्थापित हुआ। सांसद डॉ. ठाकुर ने महाराष्ट्र के लोगों के खुले दिल की सराहना करते हुए कहा कि यहां के खुले दिल और स्वीकार्यता का परिणाम है कि बिहारी प्रवासी अपनी प्रतिभा तथा परिश्रम से महाराष्ट्र की प्रगति में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

सांसद डॉ. ठाकुर ने उपस्थित जनसमूह के समक्ष बिहार की प्राचीन गरिमा तथा अस्मिता की चर्चा करते हुए कहा कि नालंदा और विक्रमशिला जैसे बिहार में ज्ञान के केंद्र रहे। वैशाली के माध्यम से विश्व को लोकतंत्र का उपहार मिला। चाणक्य की बुद्धिमत्ता, चंद्रगुप्त मौर्य की दृढ़ता तथा सम्राट अशोक की दूरदर्शिता ने बिहार ही नहीं, सम्पूर्ण भारत को एक नई दिशा दी। बिहार का लिट्टी-चोखा, मखाना खीर, छठ पूजा का उमंग यह साबित करता है कि बिहार सिर्फ एक जगह नहीं, एक जज्बा और पहचान है। ज्ञान परंपरा के केंद्र के रूप में बिहार की चर्चा करते हुए सांसद डॉ. ठाकुर ने बताया कि विश्व के छह दर्शन में न्याय दर्शन, वैशेष्य दर्शन, सांख्य दर्शन तथा योग दर्शन के रूप में चार दर्शन की उत्पति भी बिहार में ही हुई थी। जबकि, बौद्ध तथा जैन धर्म के रूप में विश्व को दो नए धर्म का आयाम भी मिला।
एक तरफ जगत जननी जानकी के रूप में माता सीता, विदेह के रूप में राजा जनक, वीर लोरिक, राजा सलहेस, कवि कोकिल विद्यापति, याज्ञवल्क्य, मैत्रेई, गार्गी, भारती मंडन, अयाची जैसे हमारे सांस्कृतिक धरोहर तथा दूसरी ओर राजा बिम्बिसार, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य जैसी विभूतियों के कारण बिहार का इतिहास आज भी सुनहरे अक्षरों में आलोकित कर रहा है।
बिहार और महाराष्ट्र के बीच परस्पर संबंधों की चर्चा करते हुए सांसद ने कहा कि सांस्कृतिक और राजनयिक क्षेत्र में सदियों से रिश्ता रहा है। सम्राट अशोक के शिलालेख मुंबई के पास पाए गए तो दूसरी ओर छत्रपति शिवाजी महाराज का भी बिहार से गहरा जुड़ाव होने के कई प्रमाण इतिहास में उल्लिखित हैं।
कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 12 मई 1666 को छल से जब शिवाजी महाराज को आगरा के किले में कैद कर लिया था तो चतुराई से शिवाजी महाराज 17 अगस्त 1666 को मथुरा-कानपुर के रास्ते पटना आए थे। वर्ष 1972 में जब महाराष्ट्र के बड़े हिस्से में अकाल पड़ा था तो जल संकट के कारण बड़ी संख्या में मराठियों को अपनी मातृभूमि छोड़ने पर विवश होना पड़ा था, तब उन्होंने बिहार को अपनी कर्मभूमि बनाई।

सांसद डॉ. ठाकुर ने केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा बिहार में किए जा रहे विकासात्मक कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि उत्तर बिहार और पूर्वोत्तर को जोड़नेवाली गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी एक्सप्रेसवे, सीमांचल को बिहार की राजधानी से जोड़नेवाली पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस वे, पटना -बेतिया एक्सप्रेस वे बक्सर-भागलपुर तथा दरभंगा-आमस एक्सप्रेस वे के साथ-साथ पटना तथा दरभंगा का एम्स मोदी सरकार की बिहार के विकास के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को जगजाहिर करता है।

कार्यक्रम में बिहार भाजपा कोषाध्यक्ष आशुतोष शंकर सिंह ने बिहार के विकास कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर एक पैमाना बताते हुए कहा कि बीपीएससी के माध्यम से पांच लाख लोगों को शिक्षक के रूप में रोज़गार, विभिन्न आईआईटी, आईआईएम, निफ्ट, देश का दूसरा सबसे बड़ा रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ आपथोल्मालॉजी जैसे उदाहरण इस बात को साबित करते हैं कि बिहार में विकास के पर्याप्त कार्य हुए हैं, जिसे जीवंत रखने और आगे बढ़ाने के लिए प्रवासी बिहारियों को वोट के समय अपने घर जाकर भाजपा तथा एनडीए को वोट देकर मजबूत बनाना है। प्रेस वार्ता के दौरान उत्तर बिहार भारतीय मोर्चा के महाराष्ट्र के प्रदेश उपाध्यक्ष नवीन सिंह, बिहार प्रकोष्ठ प्रदेश सह संयोजक जितेन्द्र सिंह, उत्तर बिहार मोर्चा के पुणे जिलाध्यक्ष अंशु पाठक, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के श्रवण चौधरी एवं पार्टी नेता उदय शंकर चौधरी आदि मौजूद थे।

 

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