डेस्क : अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय रिसर्चर बदर खान सूरी की डिपोर्टेशन (देश से बाहर निकाले जाने) पर रोक लगा दी है. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के इस स्कॉलर को अमेरिकी एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया था और उन पर हमास से संबंध होने का आरोप लगाया गया था. लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद उनकी जबरन वापसी पर फिलहाल रोक लग गई है. दरअसल, बदर खान सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल फेलो हैं और पीसबिल्डिंग यानी शांति निर्माण से जुड़ा रिसर्च कर रहे थे.
सोमवार को उन्हें वर्जीनिया स्थित उनके घर के बाहर से गिरफ्तार कर लिया गया था. अमेरिकी सरकार का दावा था कि वे हमास का समर्थन करने वाली बातें फैला रहे थे और उनके संदिग्ध लोगों से संपर्क थे.
हालांकि, इस मामले में अब तक किसी तरह के अपराध का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है. बदर खान सूरी की गिरफ्तारी के खिलाफ उनके वकील और कई मानवाधिकार संगठन खड़े हो गए हैं. अमेरिका की मशहूर सिविल राइट्स संस्था ACLU ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया और कोर्ट में आपातकालीन याचिका दायर कर दी.
वकीलों का कहना है कि यह गिरफ्तारी पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध है और इसका मकसद सिर्फ लोगों को डराना और चुप कराना है.
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी भी अपने रिसर्चर के समर्थन में आ गई है. यूनिवर्सिटी ने साफ किया कि उन्हें बदर खान सूरी के किसी अवैध गतिविधि में शामिल होने की जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि सूरी को पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करने दिया जाना चाहिए. इस बीच, अमेरिका में ट्रंप सरकार के फैसलों को लेकर चिंताओं का माहौल बन रहा है.
हाल ही में एक फ्रेंच स्पेस साइंटिस्ट को भी अमेरिका आने से रोका गया था, क्योंकि उनके फोन में कुछ अमेरिकी नीतियों के खिलाफ मैसेज पाए गए थे.
अब कोर्ट के ताज़ा फैसले से बदर खान सूरी को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन उनकी कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. अगले कुछ दिनों में इस मामले को लेकर आगे की सुनवाई होगी, जो अमेरिका में फ्री स्पीच और इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर नई बहस को जन्म दे सकती है.