दरभंगा (निशांत झा) : मिथिला सभ्यता के विकास के आदि काल से ही उर्वर भूमि रही है। न्याय दर्शन मीमांसा सहित ज्ञान परंपरा के सभी आयामों का यहां निर्माण और विस्तार हुआ है। 21 सौ वैदिक विद्वानों के साथ 108 हवन कुंडो में आहुतियां,11 मंजिला विशाल यज्ञ मंडप तथा दुर्गा सप्तशती की हजारों आवृत्तियों के एकसाथ उच्चारण से निश्चित ही मिथिला क्षेत्र में वैदिक युग की पुनर्वापसी हुई है, जिसके लिए आयोजन समिति तथा लगमा गांव एवं क्षेत्रवासी बधाई के पात्र हैं। स्थानीय सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने अपने संसदीय क्षेत्र के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के तारडीह प्रखंड के लगमा गांव में सोलह दिवसीय लक्षचंडी महायज्ञ सह अतिविष्णु यज्ञ के समापन पर हर्ष जताते हुए कहा है कि जिस तरह से इतने बड़े पैमाने हुए धार्मिक आयोजन का शांतिपूर्ण तरीके से समापन हुआ है, वह दरभंगा ही नहीं, पूरे मिथिला क्षेत्र के लिए एक इतिहास स्थापित किया है।
सांसद डॉ. ठाकुर ने इस महायज्ञ के व्यवस्थापक तथा जगदीश नारायण ब्रह्मचर्य आश्रम के संत बउआ भगवान, इस यज्ञ के आचार्य पूर्व कुलपति डॉ. रामचंद्र झा ब्रह्मा, चर्चित विद्वान पंडित उपेन्द्र झा सहित अन्य सभी विद्वानों तथा स्थानीय ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक संगठनों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि इस यज्ञ ने मिथिला की ज्ञान परंपरा को जीवंत कर फिर से यहां की प्राचीन गरिमा को पुनर्जीवित करने की दिशा में भागीरथी पहल की है।