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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मिले सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर, मैथिली भाषा को शास्त्रीय दर्जा देने का किया आग्रह

दिल्ली (निशांत झा) : भारत की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा का इतिहास अति समृद्ध रहा है। इस भाषा की अपनी अलग लिपि और पहचान रही है। अब तो देश की नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा इस भाषा में संविधान का विमोचन करके इसे सदन की कार्यवाही का हिस्सा भी बना दिया है, जबकि सीबीएसई बोर्ड के पाठ्यक्रमों में पूर्व से ही शामिल है। लेकिन, इस भाषा को अभी तक शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिलना दुखद है। साढ़े आठ करोड़ मिथिलावासियों की भावना तथा सम्मान को ध्यान में रखते हुए मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा के लिए यथाशीघ्र ठोस पहल शुरू करने की आवश्यकता है। दरभंगा के सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपालजी ठाकुर ने केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से उनके कार्यालय में स्नेहिल मुलाकात के बाद उपरोक्त विचार व्यक्त किए। इस मौके पर सांसद डॉ. ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री शेखावत को पाग एवं अंगवस्त्र से सम्मानित भी किया।

सांसद डॉ. ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री शेखावत के समक्ष मैथिली भाषा को शास्त्रीय दर्जा देने की मांग उठाते हुए कहा कि देश के हर कोने में इस भाषा को बोलनेवालों की संख्या काफी है। झारखंड में यह द्वितीय राजभाषा के रूप में स्थापित है, जबकि नेपाल जैसे देश में भी यह आधिकारिक भाषा के रूप में जाना जाता है। ऐसी परिस्थिति में इसका संरक्षण तथा संवर्धन कर इस भाषाई विरासत को आगे बढ़ाने के लिए इसे शास्त्रीय दर्जा मिलना लोगों की भावना के अनुरूप होगा।

सांसद डॉ. ठाकुर ने मैथिली की अपनी लिपि मिथिलाक्षर को राष्ट्रीय स्तर पर प्राचीन और अति समृद्ध बताते हुए कहा कि ज्योतिरीश्वर ठाकुर का 326 ईस्वी का वर्णरत्नाकर, चंदा झा का मैथिली रामायण, विद्यापति की पदावली जैसी रचनाओं की भाषा और लिपि इसकी श्रेष्ठता की साबित करने के लिए काफी है, जबकि राजा हरिसिंहदेव के राज से प्रचलित पंजीप्रथा में व्यवहार में ताम्रपत्र पर लिखने वाले मिथिलाक्षर इसकी भाषाई मर्यादा को देश ही नहीं, विश्व स्तर पर स्थापित किए हुए हैं।

सांसद डॉ. ठाकुर ने मैथिली भाषा को शास्त्रीय दर्जा को माता जानकी के सम्मान से जोड़ते हुए कहा कि आज इस भाषा को शास्त्रीय दर्जा देकर साढ़े आठ करोड़ मिथिलावासियों के सम्मान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। सांसद डॉ. ठाकुर ने मैथिली भाषा को शास्त्रीय दर्जा के लिए सभी मापदंडों पर सटीक बताते हुए कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी जी से लेकर नरेंद्र मोदी जी की सरकार तक भाजपा तथा एनडीए सरकार ने मिथिला और मैथिली को सदैव सम्मानित करने का काम किया है और आगे भी मैथिली के सम्मान के लिए संकल्पित है।

 

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