शिक्षा

विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग द्वारा ज्ञान सरिता पब्लिक स्कूल में आयोजित शिविर का समापन समारोह आयोजित

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा स्थापित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र के तत्वावधान में स्थानीय कादिराबाद के रूहेलागंज स्थित ज्ञान सरिता पब्लिक स्कूल परिसर में आयोजित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का समापन समारोह विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मिथिला शोध संस्थान, कबराघाट, दरभंगा के पूर्व निदेशक डा देवनारायण यादव, मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दरभंगा जिला बौद्धिक प्रमुख एवं संस्कृतप्रेमी ओम प्रकाश, शिविर संयोजक डा आर एन चौरसिया, स्कूल के प्राचार्य अमरनाथ साह तथा शिविर- प्रशिक्षक अमित कुमार झा, विद्यालय प्रबंधक हर्षित राज, शिक्षिका- नीलम, पूनम, दुर्गा, सपना, आशा, मीरा, कामिनी कुमारी, माधुरी, रूपा कुमारी, जिग्नेश, पंकज, सुजीत, प्रत्यूष झा, प्रह्लाद, राकेश साह सहित 112 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। अतिथियों का स्वागत फूल- माला तथा मोमेंटो से किया गया।

अपने संबोधन में डा देवनारायण यादव ने कहा कि संस्कृत हमारे संस्कार एवं मानव- जीवन की भाषा है, जिसके निरंतर अध्ययन- अध्यापन से हमारा तथा समाज का विकास होगा। उन्होंने कहा कि हमारे यहां प्राचीन काल से ही संस्कृत- अध्ययन हेतु गुरुकुल की व्यवस्था रही है। ऐसे शिविरों के आयोजन से संस्कृत का प्रचार- प्रसार होगा तथा संस्कृत में लोगों की रुचि बढ़ेगी। अध्यक्षीय संबोधन में डा घनश्याम महतो ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में संस्कृत को काफी महत्व दिया गया है। यह केवल भाषा ही नहीं, बल्कि ज्ञान- विज्ञान का माध्यम भी है। संस्कृत में कम शब्दों में ही हम अपनी अधिक भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि संस्कृत में संभाषण करना काफी सरल होता है। यह शिविर काफी सफल रहा है, जिससे छात्रों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ रही है।
शिविर के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि संस्कृत प्राचीन, समृद्ध एवं देवभाषा है जो हमें संस्कार, संस्कृति एवं नैतिक मूल्य सिखाती है। इसके अध्ययन- अध्यापन से मानव का सर्वांगीण विकास संभव है। उन्होंने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक एवं सुव्यवस्थित भाषा है, जिसमें एक लाख से भी अधिक मूल ग्रन्थों की रचना हुई है। यह भारतीय धर्म एवं दर्शन की प्रसारिका भी है। संस्कृत के समुचित विकास से ही भारत विश्वगुरु बन सकता है। ओम प्रकाश ने कहा कि जिस समय पूरा विश्व अज्ञानता के अंधकार में था, उस समय भी भारत में संस्कृत- ज्ञान हेतु नालंदा, तक्षशिला तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय थे जो ज्ञान का प्रकाश दे रहे थे, जहां भारत ही नहीं विदेश के छात्र भी पढ़ने आते थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत पढ़ना और सीखना काफी आसान होता है केवल शुरुआत करने की जरूरत है। अन्य भाषाओं की तुलना में संस्कृत पढ़ने वाले ज्यादा अनुशासित एवं स्वस्थ होते हैं। संस्कृत श्लोकों एवं मंत्रों के उच्चारण से कई रोगों का नियंत्रण होता है।
अपने स्वागत संबोधन में प्राचार्य अमरनाथ साह ने ज्ञान सरिता पब्लिक स्कूल, कादिराबाद में दश दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर के आयोजन हेतु विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीनतम एवं सभी भाषाओं की जननी है। यह ज्ञान- विज्ञान की अभिव्यक्ति की भाषा है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत- प्रशिक्षक अमित कुमार झा ने विद्यालय परिवार एवं आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपलोग अपना बहुमूल्य समय देकर संस्कृत के प्रचार- प्रसार हेतु बड़ा कार्य किया है। उन्होंने बताया कि इस शिविर में छात्र- छात्राओं को वार्तालापों, चित्रों, संकेतों, अध्ययन सामग्रियों एवं वस्तुओं के माध्यम से सरल ढंग से संस्कृत सिखाया गया है। उन्होंने अन्य विद्यालयों एवं महाविद्यालय में भी ऐसे शिविरों के आयोजन का आग्रह विभागाध्यक्ष से किया, ताकि संस्कृत- शिक्षा का व्यापक स्तर पर बीजारोपण हो सके। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हर्षित राज ने शिविर के 10 दिनों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि शिविर में शामिल बहुत से छात्र सरल संस्कृत बोलना एवं परिचय देना सीखें हैं, जिसे आगे भी जारी रखा जाएगा।
संभाषण शिविर में शामिल 112 प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र तथा मेडल प्रदान कर हौसलाअफजाई की गई।

DR. PRABHAKAR JHA