डेस्क : बिहार के दरभंगा से एक ऐसी मार्मिक घटना सामने आई है जो समाज और सरकारी स्वास्थ्य सेवा की हकीकत बयां करने वाली है. यहां एक निजी अस्पताल में 23 दिन तक इलाज का भारी भरकम बिल चुकाने में असमर्थ मां को दुविधा में डाल दिया. यहां तक कि उसे कोई और विकल्प ना देख अपने बच्चे को चुपचाप अस्पताल में छोड़ कर भागना पड़ा. हालांकि चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल ने महिला का पूरा बिल माफ कर दिया है. इसके बाद महिला अपने बच्चे को साथ ले गई हैं. यह घटना 20 दिसंबर को दोनार के शिव शारदा मेमोरियल अस्पताल की है.
जानकारी के मुताबिक दरभंगा में दोनार स्थित शिव शारदा मेमोरियल अस्पताल में मधुबनी के छातापुर लौकही की रहने वाला एक परिवार अपने नवजात बच्चे को लेकर भर्ती हुआ था. यह परिवार किसी सरकारी अस्पताल में सुविधा नहीं होने पर इस अस्पताल में आया था. यहां बच्चे का 23 दिनों तक इलाज चला और 12 दिसंबर को बच्चे को डिस्चार्ज होना था. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने परिवार को करीब डेढ़ लाख रुपये का बिल थमा दिया. यह परिवार पहले तो इस बिल को देखकर ही परेशान हो गया. जब काफी प्रयास के बावजूद इतनी बड़ी पूंजी की व्यवस्था नहीं हो पायी तो परिवार के लोग बच्चे को अस्पताल में ही छोड़ कर चुपचाप भाग गए. अस्पताल के मालिक डॉ. रविन्द्र मुखिया ने मामले की जानकारी 20 दिसंबर चाइल्ड लाइन के टॉल फ्री नंबर 1098 पर दी.
अस्पताल प्रबंधन की सूचना के बाद चाइल्ड लाइन ने बच्चे के माता-पिता की खोज की . उनसे बातचीत की तो पता चला कि वह अस्पताल का बिल चुकाने में असमर्थ हैं. इसके बाद चाइल्ड लाइन अस्पताल प्रबंधन से बात की और उनसे बिल माफ करने का आग्रह किया. अस्पताल प्रबंधन ने परिवार की माली हालत को देखते हुए बिल माफ करते हुए बच्चे को उसके माता पिता को सौंप दिया है.