डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी की है. केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में 0.35 बेसिस अंक की बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही रेपो रेट 6.25 फीसदी पहुंच गया है. इससे पहले रेपो रेट 5.90 प्रतिशत था. रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. इसके बढ़ने से होम लोन (Home Loan) समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने आम सहमति से रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला किया है. बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट अब 6.25 फीसदी पर पहुंच गया है. इससे पहले ये 5.90 पर था.
केंद्रीय बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti kant Das) ने इस मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक सोमवार को शुरू थी.
रेपो रेट क्या है
हम बैंक से कर्ज (Loan) लेते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है. ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कर्ज लेते हैं. इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं.
रेपो रेट का आम आदमी पर असर
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण मिलेगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं. वहीं अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे.