डेस्क : उत्तर प्रदेश में जारी मदरसा सर्वे को लेकर देवबंद के उलेमा मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार जिन सवालों के साथ मदरसों का सर्वे करा रही है, उसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं. इसलिए मामले को ठीक से समझे बिना सर्वे का विरोध करना जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर बने मदरसे नाजायज हैं. यह मामला किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करने का नहीं है. वह इस सर्वे का सर्वे का स्वागत करते हैं. मदनी रविवार को देवबंद में आयोजित मदरसा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
यह सम्मेलन देवबंद के मस्जिद रशीद में 11 बजे शुरू हुआ. सम्मेलन में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी और जमीयत उलेमा ए हिन्द के प्रमुख अरशद मदनी मौजूद रहे. मदनी ने असम में मदरसों पर बुल्डोजर चलाए जाने से संबंधित सवाल पर कहा कि अगर मदरसा सरकारी जमीन या पंचायत या दान की जमीन पर हो और इसके कागज नहीं हैं तो उसके खिलाफ कार्रवाई पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. लेकिन इस कार्रवाई के लिए कम से कम 15 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए. जिस तरह से हम मस्जिद के लिए सरकार से दो कौड़ी की मदद नहीं लेते, ठीक उसी तरह से मदरसे के लिए भी हम सरकार पर आश्रित नहीं है. मदरसा हमारी मजहबी जरूरत को पूरी करने के लिए है. हालांकि उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे का स्वागत किया. कहा कि सरकार जिन सवालों को लेकर सर्वे करा रही है, इसमें कोई दिक्कत जैसी बात नहीं है. वह सर्वे का समर्थन करेंगे.
मदनी ने सरकार पर निशाना भी साधा. कहा कि किसी जरूरतमंद व्यक्ति को वह अपने घर में शरण दें और अगले दिन एटीएस उसे दहशतगर्द बताकर उठा ले तो इसमें उनका क्या दोष. इसी प्रकार मदरसों को भी इस तरह के मामलों में जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता. मदर मजहबी विषय है और यहां बच्चों को तालीम दी जाती है. ना कि किसी को दहशतगर्द बनाने की प्रेरणा दी जाती है.